साजिश, लालच और धोखे की कहानी है अमर हत्याकांड
जेएनएन बिजनौर अमर सिंह की मौत साजिश लालच और धोखे का नतीजा है। एक फर्जी घटना पर अलग-अल
जेएनएन, बिजनौर: अमर सिंह की मौत साजिश, लालच और धोखे का नतीजा है। एक फर्जी घटना पर अलग-अलग मंसूबे बुने जा रहे थे। इस मंसूबों में गहरी साजिश भी थी। चूंकि, चरण सिंह अपने दुश्मन के खिलाफ फर्जी केस दर्ज कराकर पुराने मुकदमे में समझौता कराना चाहता था। पुलिस की जांच में आरोपित कामयाब नहीं हो सके।
अमर सिंह की हत्या की वारदात फिल्मी कहानी से कम नहीं है। घटना में हर आरोपित का अपना-अपना मकसद था। प्लानिग भी खतरनाक तरह से तैयार की गई थी। कोई अपने दुश्मन को फंसाना चाहता था, कोई सरकारी अनुदान हड़पना चाहता था। हालांकि स्वाट टीम और पुलिस की जांच में सबके मंसूबों पर पानी फिर गया। हालांकि, खतरनाक योजना में अमर सिंह को जान से हाथ धोना पड़ा। घटनाक्रम सामने आने के बाद हर कोई चौंक गया। किसी को अंदाजा नहीं था कि सरकार का पैसा हड़पने के लिए कोई इस कदर खतरा उठा सकता है। शातिर चरण सिंह ने कोर्ट में चल रहे केस में समझौते के लिए ऐसी साजिश बुनी कि एक-एक कर चार लोगों को शामिल कर लिया। लालच के बाद चरण ने अमर सिंह को उसके हाल पर छोड़ दिया। गोली मारने के बाद अमर सिंह, शाहरुख और धर्मेंद्र घायल को जंगल में छोड़कर आ गए। अमर सिंह गांव राज नवादा की ओर घायल अवस्था में चल दिया। कुछ दूर चलने के बाद गांव के पास बेहोश होकर गिर गया। काफी खून बह जाने और इलाज नहीं मिलने के चलते उसकी मौत हो गई। अगर, समय से उसकी सुध ले ली जाती तो शायद उसकी जान बच सकती थी। गोली मारने के बाद सब अपने-अपने घर आ गए। एक बार भी किसी ने मुड़कर नहीं देखा। इसी धोखे में उसकी जान चली गई। थाना प्रभारी हिमांशु चौहान ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची थी, जब तक अमर सिंह की मौत हो गई थी।