हाल एक स्वास्थ्य विभाग.. डेंगू की जांच की जिले में नहीं सुविधा
बिजनौर : सरकारी चिकित्सा व्यवस्था में डेंगू के मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। जिला अ
बिजनौर : सरकारी चिकित्सा व्यवस्था में डेंगू के मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है। जिला अस्पताल में रेपिड कार्ड से डेंगू की जांच होती है लेकिन विभागीय अफसर इसे मानते नहीं। वह एलाइजा टेस्ट की रिपोर्ट को ही मानते हैं लेकिन जिला अस्पताल में इस टेस्ट की व्यवस्था नहीं है। इस चक्कर में मरीजों का उपचार केवल लक्षणों के आधार पर चलता रहता है या फिर उन्हें मेरठ रेफर कर दिया जाता है। बताया जाता है कि जिला अस्पताल की लैब में वर्षों से एलाइजा टेस्ट की मशीन खराब पड़ी हुई है।
बरसात के बाद डेंगू ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। बढ़ापुर के मोहल्ला लाल सराय निवासी आठ वर्षीय अफजाल को डेंगू ने चपेट में ले लिया। परिजनों ने जिला अस्पताल में जांच कराई। जिला अस्पताल के लैब टेक्नीशियन ने उसकी जांच रेपिड कार्ड से की, जिसमें डेंगू की पुष्टि हुई। लैब टेक्नीशियन ने इसकी रिपोर्ट मलेरिया विभाग को भेजी लेकिन मलेरिया विभाग ने जिला अस्पताल की रिपोर्ट नहीं मानी। इस पर चिकित्सकों ने बच्चे को मेरठ रेफर कर दिया। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी सौ से अधिक मरीजों की जांच मेरठ कराई गई थी। बताया जाता है कि जिला अस्पताल में एलाइजा टेस्ट की मशीन कई वर्षों से खराब पड़ी है। यहां इस जांच की व्यवस्था नहीं होने से मरीज को सही उपचार नहीं मिल पाता। जिला अस्पताल में कार्यरत वरिष्ठ परामर्शदाता डा. ज्ञानचंद बताते हैं कि मेरठ से जांच रिपोर्ट आने तक रोगी का लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। इन्होंने कहा..
डेंगू की जांच एलाइजा टेस्ट से की जाती है। जिला अस्पताल में एलाइजा टेस्ट नहीं है। रेपिड कार्ड से जांच के बाद डेंगू की पुष्टि होने पर रोगों को संदिग्ध मान लिया जाता है। फिर सीरम सैंपल जांच के लिए मेरठ मेडिकल भेजा जाता है। इस टेस्ट के बाद ही डेंगू की पुष्टि होती है।
- ब्रजभूषण, जिला मलेरिया अधिकारी। डेंगू के एलाइजा टेस्ट की जिला अस्पताल में व्यवस्था नहीं है। इसकी जरूरत है। इसके लिए उच्च स्तर पर पत्राचार किया जाएगा। यदि जिला अस्पताल में यह सुविधा मिल जाती है तो इससे रोगियों को काफी लाभ होगा।
- डा. सुखबीर ¨सह, सीएमएस जिला अस्पताल।