प्रसव पीड़ा से तड़पती रही महिला, चिकित्सक नदारद
सरकार भले ही राजकीय अस्पतालों की व्यवस्था चाक चौबंद करने के लिए तमाम कवायद कर रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि धरती के भगवान सुधरने को तैयार नहीं है। देर से आना जल्दी जाना के साथ साथ ड्यूटी गायब रहना भी चिकित्सकों आद में शुमार हो गया है। रविवार को ड्यूटी चिकित्सक की अनुपस्थिति के कारण एक प्रसव पीड़िता को परिजन निजी अस्पताल लेकर जाने को विवश हुए। बेहद गरीब परिवार को निजी अस्पताल का भारी भरकम खर्च उठाना पड़ा। इसे लेकर महिला के परिजनों में रोष देखा गया।
जागरण संवाददाता, भदोही : शासन-प्रशासन भले ही राजकीय अस्पतालों की व्यवस्था चाक-चौबंद करने के लिए तमाम कवायद कर रही है लेकिन वास्तविकता यह है कि चिकित्सक व कर्मी सुधरने को तैयार नहीं है। देर से आना जल्दी जाना के साथ ड्यूटी से गायब रहना भी चिकित्सकों आदत में शुमार हो गया है। रविवार को ड्यूटी चिकित्सक की अनुपस्थिति के कारण अस्पताल पहुंची प्रसव पीड़िता तड़पती रही तो चिकित्सक नदारद दिखे। काफी इंतजार के बाद परिजन उसे निजी अस्पताल लेकर जाने को विवश हुए। बेहद गरीब परिवार को निजी अस्पताल का भारी भरकम खर्च उठाना पड़ा। इसे लेकर महिला के परिजनों में रोष देखा गया।
सरकारी अस्पतालों में साधारण डिलवरी के साथ साथ आपरेशन की सुविधा भी उपलब्ध है। हालांकि जैसे ही रोगी अस्पताल पहुंचते हैं कि उन्हें रेफर की पर्ची पकड़ा दी जाती है। लंबे समय से चली आ रही उक्त परंपरा रोगियों के लिए परेशानी का सबब बनी है। शहर की एक लाख से अधिक आबादी के साथ साथ दर्जनों गांवों की स्वास्थ्य सुविधा की जिम्मेदारी संभालने वाले राजकीय अस्पताल एमबीएस की यह हालत है कि साधारण रोगियों को जैसे-तैसे निबटाया जाता है लेकिन जैसे ही मामला गंभीर दिखा चिकित्सक हाथ खड़े कर देते हैं। उधर अस्पताल में महिला चिकित्सकों के साथ साथ स्टाफ नर्स व सहायिकाएं भी नियुक्त हैं लेकिन अपनी जिम्मेदारियों के प्रति उदासीनता के कारण आए दिन अस्पताल की छवि पर बट्टा लगाया जा रहा है। रविवार को कोतवाली क्षेत्र के लागनबारी गांव निवासी प्रसव पीड़ा से तड़प रही मंशा देवी को उसके परिजन लेकर अस्पताल पहुंचे थे। इस दौरान पता चला कि ड्यूटीरत चिकित्सक उपस्थित नहीं हैं। इस बीच किसी स्वास्थ्यकर्मी ने न तो स्ट्रेचर की व्यवस्था की न ही महिला का उपचार शुरू किया। परिणामस्वरूप उसका दर्द बढ़ता गया। इस बीच परिजन वाहन की व्यवस्था कर उसे इंदिरा मिल चौराहा स्थित एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां आपरेशन किया गया। बेहद गरीब परिवार को राजकीय अस्पताल की सुविधा न मिलने तथा निजी अस्पताल का भारी भरकम खर्च सहने वाले महिला के परिजन इसे लेकर क्षुब्ध नजर आए। उनका कहना था कि अगर राजकीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवा मिल गई होती तो उन्हें निजी अस्पताल न जाना पड़ा।
--------
भोजन के लिए कुछ देर तक छोड़ा था अस्पताल
- अस्पताल में ड्यूटीरत महिला चिकित्सक डा. राजकुमारी का इस मामले में कहना रहा कि वह खाना खाने के लिए कुछ देरी के लिए गई थीं। इस बीच उक्त महिला को लेकर लोग पहुंचे थे। बताया कि उन्हें सूचना दी गई तथा जल्द ही पहुंच गई थीं लेकिन इसके पहले परिजन उसे लेकर जा चुके थे।