वोट ट्रांसफर को संजीदा दिखे माया-अखिलेश
प्रत्याशी के मुकाबले खड़े हुए कांग्रेस प्रत्याशी रमाकांत यादव पर सपा और बसपा के मुखिया जमकर हमलावर रहे। वे वोट ट्रांसफर को लेकर बेहद संजीदा दिखे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार कह रहे हैं कि वे आजमगढ़ में अखिलेश यादव को सपोर्ट कर रहे हैं इसलिए यहां से चुनाव लड़ने आए हैं।
संग्राम सिंह, भदोही
बसपा-सपा गठबंधन प्रत्याशी के मुकाबले खड़े हुए कांग्रेस प्रत्याशी रमाकांत यादव पर सपा और बसपा के मुखिया जमकर हमलावर रहे। वे वोट ट्रांसफर को लेकर बेहद संजीदा दिखे। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार कह रहे हैं कि वे आजमगढ़ में अखिलेश यादव को सपोर्ट कर रहे हैं, इसलिए यहां से चुनाव लड़ने आए हैं। मैं उनसे यही कहना चाह रही हूं कि सही मायने में अगर आप अखिलेश यादव के शुभचितक होते तो आपको किसी भी पार्टी से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए था बल्कि आपको आजमगढ़ में ही रहकर अखिलेश यादव को चुनाव लड़ाना चाहिए था।
कहा कि मुझे तो लगता है कि दाल में जरूर कुछ काला है.. भाजपा ने उन्हें जान-बूझकर कांग्रेस में भेजा है ताकि टिकट लें और भदोही से आओ। यहां पर यादव समाज का वोट बंट जाए। सपा-बसपा गठबंधन में दरार पड़ जाए। इसलिए पिछड़े वर्ग के लोगों को भाजपा के इस षडयंत्र को भी समझना होगा। सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने उम्मीदवारों को कामयाब बनाने के लिए यहां पार्टी के लोगों को भी युद्धस्तर पर लगाया हुआ है। जब उन्हें मालूम पड़ा कि कांग्रेस उम्मीदवार हमारे गठबंधन के बारे में गलत प्रचार कर रहे हैं। वे इस गलतफहमी को दूर करने के लिए वे स्वयं यहां मेरे साथ इधर आए हुए हैं।
दरसअल दोनों पार्टी मुखिया द्वारा वोट ट्रांसफर को लेकर चिता यूं ही नहीं है। भदोही में करीब दो लाख यादव वोटर हैं, जब से रमाकांत यादव चुनावी मैदान में ताल ठोंकने उतरे हैं। गठबंधन की यही चिता है कि वह यादव वोटरों को कैश कर ले जाएंगे। अगर यह वोट खिसका तो गेंद दूसरे के पाले में जा सकती है। खिसक रहे इन वोटों को आज सपा मुखिया ने खुद आकर स्थिति साफ कर दी। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस वाले भाजपा से मिलकर चाल चल रहे हैं। कोई आजमगढ़ से आया है यहां पर चुनाव लड़ने के लिए। वह कह रहे हैं कि हमारी मदद कर रहे हैं, वे पिछड़ों को धोखा दे रहे हैं। इनके भ्रमजाल में बिल्कुल मत आइयेगा, केवल गठबंधन प्रत्याशी को जिताइयेगा ..। आजमगढ़ की जनता तो हमें मौका दे ही रही है। यदि रमाकांत को इतना ही सम्मान करना था तो नेताजी के खिलाफ क्यों लड़े थे ..।
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संत रविदास के बहाने फिर दलित वोटों को खिसकने से रोकने की कोशिश
चूंकि पीएम मोदी ने पांच मई को हुई भाजपा की रैली में संत रविदास नगर का नाम फिर से भदोही रखने पर सपा मुखिया अखिलेश यादव को कठघरे में खड़ा किया था। बुआ-बबुआ का तंज कसा था, इसलिए ठीक दो दिन बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने न केवल अखिलेश यादव को बचाव किया, बल्कि दोबारा भदोही जिले का नाम संत रविदास नगर करने की बात दोहरा दी, इसलिए खिसक रहे दलित वोट बैंक को फिर से सहेजने की पुरजोर कोशिश की गई। सियासी पंडित इसे करारा जवाब के तौर पर देख रहे हैं ..।
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अगड़ों को भी छुआ
बसपा सुप्रीमो आज दलितों, पिछड़ों व मुस्लिमों के दर्द पर मरहम लगाया ही, साथ ही अगड़ों को भी छूने की कोशिश की है। कहा कि सामान्य वर्ग के लोग भी भाजपा सरकार में परेशान है। उन्हें महंगाई का दंश जीने नहीं दे रहा है ..।
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विकास के बहाने बुनकरों पर भी दांव
बाबतपुर से भदोही तक और मीरजापुर से भदोही तक सड़क निर्माण के बहाने आज सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भदोही के दिलों में उतरने की पूरी कोशिश की। कहा कि यहां के लाखों बुनकरों के कहने पर ही यह सड़कें समाजवादियों ने बनवाई थी। भदोही को पूरा विकास कार्य कराया था। यह सिलसिला वह फिर से यूं ही बरकरार रखेंगे। चूंकि भदोही में करीब डेढ़ लाख बुनकर हैं, इसमें एक्सपोर्टर भी शामिल है। इस तरह उन्होंने पुरानी उपलब्धियों के बहाने बड़ा दांव खेल गए।
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-- कहां कितने पिछड़े व दलित वोटर
-- विधानसभा क्षेत्र -- भदोही
1,11000 : एससी
60,000 : पिछड़े विधानसभा क्षेत्र -- ज्ञानपुर
60,000 : एससी
1,05000 : पिछड़े विधानसभा क्षेत्र -- औराई
95,000 : ओबीसी
75,000 : एससी विधानसभा क्षेत्र -- प्रतापपुर
1,20000 : पिछड़ी
70,000 : एससी विधानसभा क्षेत्र -- हंडिया
1,05000 : पिछड़ी
60,000 : एससी
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वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश
चुनावी कसरत पूरे रंग में हैं। अंतिम समय में वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश चरम पर है। भाजपा ही नहीं, अब सपा और बसपा गठबंधन की ओर से भी ध्रुवीकरण का प्रयास तेज कर दिया गया है। वे यहां आकर वोटरों को रिझा रहे हैं। अब चूंकि कांग्रेस की ओर से 10 मई को प्रियंका गांधी भी आ रही हैं, इसलिए भदोही के चुनावी गलियारे में हलचल और बढ़ेगी।
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