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विविधता में एकता ही भारत की पहचान

काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर में कौमी एकता सप्ताह के तहत शुक्रवार को कमजोर वर्ग दिवस के रूप में मनाया गया। प्राचार्य डॉ. पीएन डोंगरे ने सप्ताह मनाने की आवश्यकता एवं सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत बहुलतावादी संस्कृति का देश है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:00 AM (IST)
विविधता में एकता ही भारत की पहचान
विविधता में एकता ही भारत की पहचान

पटना। पाच पहाड़ियों से घिरे राजगीर की खूबसूरती गुलाबी सर्दी में और निखर गई है। 25 से 27 नवंबर तक यहा राजगीर महोत्सव का भी आयोजन हो रहा है। महोत्सव में देश-विदेश के कई कलाकार शिरकत कर रहे हैं। यहां ग्राम श्री मेले का भी आयोजन हो रहा है। पटना से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजगीर छुट्टिया मनाने के लिए सबसे मुफीद है। राजगीर के प्रमुख पर्यटन केंद्रों के साथ राजगीर महोत्सव के विशेष आकर्षण को समेटती रिपोर्ट।

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राजगीर महोत्सव का अतीत करीब 33 वर्ष पुराना है। चार अप्रैल 1986 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे, केंद्रीय पर्यटन मंत्री एचकेएल भगत और राज्य पर्यटन मंत्री उमा पांडेय के हाथों महोत्सव की शुरुआत हुई थी। उस समय राजगीर नृत्य महोत्सव के नाम से इसका आयोजन किया गया था। 1989 में इसका नाम राजगीर महोत्सव कर दिया गया। वक्त के साथ इस आयोजन के स्वरूप में काफी बदलाव हुआ है। अब इस महोत्सव में गीत-संगीत, कला-संस्कृति, हस्तशिल्प काफी कुछ जुड़ गया है। राजगीर का शानदार प्राकृतिक सौंदर्य और यहां का विविधता भरा अतीत इस महोत्सव को खास बनाता है। इस बार महोत्सव का आगाज राजगीर अंतरराष्ट्रीय कंवेंशन सेंटर में औपचारिक उद्घाटन के साथ होगा। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। तीन दिनों के आयोजन के दौरान परिसर में महिला महोत्सव, तागा सज्जा, पालकी सज्जा, दंगल, नुक्कड़ नाटक, सैंड आर्ट के प्रदर्शन होंगे। कार्यक्रम में पुस्तक मेले का भी आयोजन किया जाएगा।

पंकज उधास के साथ जमेगा रंग

कार्यक्रम के पहले दिन जाने-माने गजल गायक पंकज उधास अपनी सुरीली आवाज से समां बांधेंगे। महोत्सव के दूसरे दिन स्थानीय कलाकारों को मंच से मौका दिया जाएगा। कार्यक्रम के आखिरी दिन कई अन्य आमंत्रित कलाकार अपना रंग जमाएंगे।

ये दिग्गज कलाकार कर चुके हैं शिरकत

1997 के राजगीर महोत्सव में शास्त्रीय नृत्यागना पद्मभूषण सोनल मानसिंह, माधवी मुदगल व कमलिनी ही नहीं बल्कि ड्रीम गर्ल से ख्यात अभिनेत्री हेमा मालिनी आई थीं। वहीं 1998 में विश्वविख्यात बासुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, भजन सम्राट अनूप जलोटा व फिल्म अभिनेत्री अर्चना जोगलेकर ने राजगीर महोत्सव का आकर्षण बढ़ाया था। बॉलीवुड अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि के अलावे प्रसिद्ध भारतीय कथक नर्तक व शास्त्रीय गायक बिरजू महाराज तथा ओडिसी नृत्यागना संयुक्ता पाणिग्रही ने अपनी नृत्य कला से दर्शकों को लुभाया है। अब तक हिंदी सिनेमा के पा‌र्श्व गायकों में पूर्णिमा, अनूप जलोटा, पंकज उधास, भूपेन हजारिका, गुलाम अली, शान, जसविंदर नरुला, अलका याग्निक, कैलाश खेर आ चुके हैं। 2013 में सुखविंदर सिंह, 2014 में विनोद राठौड़, 2015 में अदनान सामी, 2016 में उदित नारायण, 2017 में हरिहरण, 2018 में अनुराधा पौडवाल ने अपनी जादूई आवाज से राजगीर महोत्सव के मंच को नवाजा है।

ग्रामश्री मेले में मिलेंगे देशभर के उत्पाद

राजगीर महोत्सव के दौरान स्थानीय हॉकी ग्राउंड में सात दिवसीय ग्रामश्री मेला का आयोजन किया जाएगा। इसमें हस्तशिल्प के नायाब नमूने बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगे। मेले में जम्मू-कश्मीर, झारखंड, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आध्रप्रदेश, पंजाब, उत्तरप्रदेश, असम, मध्यप्रदेश, हरियाणा, तेलागना, पश्चिम बंगाल के स्वयं सहायता समूह अपने उत्पादों के साथ आएंगे।

सरकारी योजनाओं की मिलेगी जानकारी

ग्राम श्री मेला में कृषि मेला, फन जोन, व्यंजन मेला, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा लोहिया स्वच्छता अभियान तथा शौचालयों के उपयोग व जनसंपर्क विभाग द्वारा बिहार सरकार के जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी के अलावा मत्स्य पालन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, उद्योग विभाग, अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम सहित विभिन्न विभागों की ओर से स्टॉल लगाये जाएंगे। ग्राम श्री मेला के प्रवेश द्वार के पास महोत्सव नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा।

फन जोन में बच्चों के मनोरंजन की व्यवस्था

मेले में बच्चों के लिए फन जोन की व्यवस्था रहेगी। यहां ड्रैगन और टावर झूला, ब्रेक डास, कठघोड़िया झूला सहित खिलौनों की दुकानें भी लगाई जाएंगी। वहीं व्यंजन मेले में लोग विभिन्न स्थानों के लजीज व्यंजनों का स्वाद चख सकेंगे।

ये हैं राजगीर के आकर्षण -

मगध साम्राज्य की पुरानी राजधानी रही राजगीर (राजगृह) का सौंदर्य राजगीर महोत्सव के दौरान और निखर आता है। पांच पहाड़ियों से घिरे इस पुराने शहर में विश्व शांति स्तूप से लेकर घूमने की कई जगहें हैं। ब्रह्माकुंड व सप्तधाराओं में स्नान की विशेष महत्ता है। यहां पर 22 कुंड और 52 धाराएं है। विश्व शांति स्तूप, सोन भंडार, जरासंध का अखाड़ा, बिंबिसार की जेल, नौलखा मंदिर, जापानी मंदिर, बाबा सिद्धनाथ मंदिर, जैन मंदिर, गृद्धकूट पर्वत, लाल मंदिर, घोड़ा कटोरा डैम, वेणुवन, सुरक्षा दीवार, जेठियन बुद्ध पथ, सप्तवर्णी गुफा आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।

राजगीर के 22 कुंड -

ब्रह्माकुंड, सप्तधारा, व्यास, अनंत, मार्कंडेय, गंगा-यमुना, काशी, सूर्य, चंद्रमा, सीता, राम-लक्ष्मण, गणेश, अहिल्या, नानक, मखदुम, सरस्वती, अग्निधारा, गोदावरी, वैतरणी, दुखहरनी, भरत एवं शालीग्राम कुंड आदि यहां के प्रमुख कुंड मे से एक हैं। इन कुंडों के जल को पवित्र और औषधीय गुणों से युक्त माना जाता है। यहां भ्रमण करने वाले लोग इन कुंडों में स्नान भी करते हैं।

ऐसे पहुंचें राजगीर

पटना से राजगीर करीब 100 किलोमीटर दूर है। आप रेल अथवा सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। पटना जंक्शन से राजगीर के लिए रोजाना चार ट्रेनें खुलती हैं। पहली ट्रेन बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस तड़के 03:10 बजे पटना जंक्शन से खुलती है। यह ट्रेन सबसे कम समय पौने तीन घंटे में सुबह 05.55 बजे राजगीर पहुंचा देती है। इसके बाद श्रमजीवी सुपरफास्ट सुबह 07:15 बजे खुलकर सवा तीन घंटे में, जबकि दानापुर-राजगीर इंटरसिटी सुबह 07:25 में खुलकर करीब सवा चार घंटे में राजगीर पहुंचा देती है। शाम 06:50 बजे पटना जंक्शन से दानापुर-राजगीर मेमू खुलती है, जो सवा चार घंटे का समय लेती है। राजधानी के मीठापुर बस पड़ाव से राजगीर के लिए नियमित बसें खुलती हैं।

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अब तक चार बार बदल चुका है महोत्सव का स्थान

1986 को स्वर्ण भंडार परिसर में हुआ था कार्यक्रम

1988 से तीन दिनों तक का महोत्सव हुआ शुरू

1989 में दो बार हुआ था महोत्सव का आयोजन

1995 में लंबे अंतराल के बाद यूथ हॉस्टल में दोबारा आयोजन

2009 से आयोजन स्थल बदलकर किला मैदान कर दिया गया

2014 में 15 दिनों तक मनाया गया राजगीर महोत्सव

2016 में महोत्सव फिर से तीन दिनों का कंवेंशन सेंटर में


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