मिलरों के गोदामों में 18 हजार एमटी सरकारी चावल डंप
मीरजापुर में सरकारी चावल उतारने के लिए कई दिन लग जा रहे हैं। ऐसे में जहां मिलरों को अतिरिक्त किराया भुगतान करना पड़ रहा है तो वहीं गोदामों में सरकारी चावल खराब होने का खतरा बना हुआ है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : मीरजापुर में सरकारी चावल उतारने के लिए कई दिन लग जा रहे हैं। ऐसे में जहां मिलरों को अतिरिक्त किराया भुगतान करना पड़ रहा है तो वहीं गोदामों में सरकारी चावल खराब होने का खतरा बना हुआ है। आलम यह है कि मिलरों के गोदाम में 18 हजार एमटी चावल डंप है। चावल उतरवाने के लिए मजदूर आदि की व्यवस्था के लिए जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक लखनऊ को पत्र भेजा है।
सरकार की ओर से केंद्रों पर खरीदे गए धान को चावल बनाने के लिए प्राइवेट मिलरों यहां भेज दिया जाता है। इसके लिए शासन की ओर से तिथि और पारिश्रमिक निर्धारित की जाती है। जिले में विपणन विभाग के पास गोपीगंज और औराई को छोड़ दिया जाए तो अपना खुद का गोदाम नहीं है। किराए पर लिए गए गोदामों में सरकारी दुकानों के लिए आवंटित खाद्यान्न को भी रखने का जगह नहीं है। सरकारी चावल को मीरजापुर अथवा वाराणसी स्थित भारतीय खाद्य गोदाम में पहुंचाया जाता है। यहां पर मिलरों को सरकारी चावल उतारने के लिए कई दिनों तक का इंतजार करना पड़ता है। आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जनपद के 30 अधिकृत राइस मिलों में 18 हजार एमटी सरकारी चावल डंप है। जिला विपणन अधिकारी श्याम शंकर मिश्र ने बताया कि सरकारी चावल उतारने के लिए मीरजापुर स्थित भारतीय खाद्य निगम के गोदाम में मिलरों को परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके लिए जिलाधिकारी के माध्यम से महाप्रबंधक को पत्र लिखा गया है।
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मिलरों की कहानी उनके जुबानी
जनपद के मिल संचालक सरकारी चावल मीरजापुर और वाराणसी स्थित गोदामों में नहीं ले जाना चाहते हैं। उनका कहना है कि मीरजापुर और वाराणसी में चार-चार दिन ट्रक चावल लेकर खड़े रह जाते हैं। इससे मिल संचालकों को बहुत अधिक नुकसान होता है। गोदाम में रखे सरकारी चावल को लेकर की भी चिता रहती है। किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आने पर नुकसान हो गया तो उसकी भरपाई भी घर से करनी होगी।