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जिम्मेदारों की नीयत काली, सांसत में हरियाली

अभोली विकास खंड विकास से सटे सार्वजनिक तालाब उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। पिछले वर्ष किए गए पौधरोपण की हकीकत की पड़ताल में 70 फीसद रोपित पौधे दम तोड़ने का सच सामने आया है। तालाब पर 600 पौधों पर पिछले वर्ष पौधरोपण किया गया थे। तालाब पर हरियाली लाने का विभाग की ओर से दावा किया गया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 12:29 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 06:24 AM (IST)
जिम्मेदारों की नीयत काली, सांसत में हरियाली

केस-1

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अभोली ब्लाक मुख्यालय के निकट सार्वजनिक तालाब पर वर्ष 2018 में तीन हेक्टेयर भूखंड पर 600 पौधे रोपित किए गए थे। वन विभाग के इस दावे की कलई ठीक एक साल में खुल गई। शुक्रवार को दोपहर एक बजे जब पौधे गिने गए तो वहां मात्र 20 पौधे ही दिखाई पड़े। बाकी कहां गए, यह अफसर बता नहीं पा रहे हैं। केस-2

सुरियावां के महुआपुर गांव में वर्ष 2018 में दो हेक्टेयर भूखंड पर 450 पौधे लगाए थे। यह दावा कागजी है, इसे एक साल बाद जागरण प्रतिनिधि ने देखा तो केवल 10 पौधे ही मौके पर मिले। बाकी पौधे गायब होने के पीछे वन विभाग के अफसर सुरक्षा के अभाव की बात कह रहे हैं, यह जिम्मेदारी भी उन्हीं की थी। जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर, भदोही : पिछले पांच साल से सरकार पौधरोपण का रिकार्ड बना रही है। कागज पर खूब पौधे लगाए जा रहे हैं। यह पौधे कहां लग रहे हैं, यह खोजते नहीं मिल रहे। यह स्थिति तब है, जब पौधरोपण के लिए जमीन ही नहीं है। वर्ष 2018-19 में जिले में 10.72 लाख पौधे लगाए गए थे। इतने पौधे अगर वास्तव में पेड़ बन जाएं तो वास्तव में यह जिला पूर्वांचल का सबसे हरा-भरा होगा। ठीक एक साल बाद हकीकत परखी गई तो लगाए गए पौधों का नामोनिशां तक गायब है। 70 से 80 फीसद पौधे गायब हो चुके हैं। वे कहां गए किसी को कोई पता नहीं। पड़ताल कह रही है कि ये पौधे लगाए ही नहीं गए। पौधे का बजट अधिकारी खा गए। अब चूंकि फिर से 19.38 लाख पौधे लगाने की तैयारी चल रही है। इस बार भी सुरक्षा को लेकर अफसरों के पास कोई कार्ययोजना नहीं हैं, इतने पौधे इस बार भी गायब हो जाएंगे। ऐसे में यह पौधे किसके काम आएंगे। पानी नहीं देंगे तो कैसे बचेंगे पौधे

पौधरोपण तो विभागों की ओर से कराया जा रहा है, लेकिन पौधों को हरा भरा रखने के लिए पानी देने की कोई नहीं सोच रहा है। यही स्थिति हर पौधरोपण अभियान में होती है, लेकिन जिम्मेदार कोई सबक नहीं ले रहे हैं। लिहाजा यह पौधे बिना पानी के दम तोड़ जा रहे हैं। गजब! ग्राम पंचायतें करेंगी पौधों की सुरक्षा

डीएफओ एपी पाठक ने बताया कि सुरक्षा के लिए ग्राम पंचायतों की भी जिम्मेदारी है। हालांकि विभागीय स्तर से सुरक्षा के लिए दैनिक वेतनभोगी कर्मी सीजन में रखे जाते हैं। पौधे किस वजह से सूख रहे हैं, इसकी गहन पड़ताल की जाएगी।


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