टला नहीं है टिड्डियों का खतरा, किसान रहें सावधान
टिड्डी कीट का खतरा टला नहीं हैं। झांसी सहित आस-पास के जिलों में टिड्डियों (ग्रास हापर) को बढ़े प्रकोप के सोनभद्र तक पहुंच जाने से जहां कृषि विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है तो कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के वैज्ञानिक भी खतरे के प्रति किसानों को जागरुक करने में जुट चुके हैं। केंद्र की ओर से बचाव के लिए बाकायदा एडवाइजरी भी जारी की गई है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : टिड्डी कीट का खतरा टला नहीं हैं। झांसी सहित आस-पास के जिलों में टिड्डियों (ग्रास हापर) के बढ़े प्रकोप के सोनभद्र तक पहुंच जाने से जहां कृषि विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है तो कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के वैज्ञानिक भी खतरे के प्रति किसानों को जागरूक करने में जुट चुके हैं। केंद्र की ओर से बचाव के लिए बाकायदा एडवाइजरी भी जारी की गई है।
कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि टिड्डियों के आगे बढ़ने की दिशा हवा की गति पर निर्भर करती है। वैसे अभी इनका समूह सोनभद्र में दिखा था। जो दूसरी ओर चला गया है लेकिन जिले के किसानों को सावधान रहने की जरूरत है। बचाव के लिए बताया कि टिड्डी दल का समूह जब भी आकाश में दिखाई पड़े तो उनको उतरने से रोकने के लिए तुरंत अपने खेत के आस-पास मौजूद घास-फूस का उपयोग करके आग जलाने के साथ धुआं करना चाहिए। जिससे टिड्डी दल आगे निकल जाएगा। इसके साथ ही पटाखे फोड़कर, थाली, ढोल- नगाड़े आदि बजाकर आवाज करना चाहिए।
रासायनिक नियंत्रण कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है। टिड्डी के नियंत्रण के लिए क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ईसी या बेन्डियोकार्ब 80 प्रतिशत 125 ग्राम या 1200 मिली दवा का घोल तैयार कर घोल तैयार कर छिड़काव किया जा सकता है। इसी तरह क्लोरपाइरीफास 50 प्रतिशत ईसी 480 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 मिली अथवा डेल्टामेथरिन 1.25 प्रतिशथ एससी 1400 मिली, डाईफ्लूबेनज्यूरॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 ग्राम या लैम्ब्डा साईहेलोथ्रिन पांच प्रतिशत ईसी 400 मिली कीटनाशक का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है।