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दंडित अधिकारियों को सौंपी दो तहसीलों की कमान

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही जीरो टालरेंस की बात कर

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 04:37 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 04:37 PM (IST)
दंडित अधिकारियों को सौंपी दो तहसीलों की कमान

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही जीरो टालरेंस की बात कर रहे हों लेकिन जिले के दो तहसीलों की कमान दंडित अधिकारियों के हाथ सौंपी गई है। भदोही तहसील में चार्ज को लेकर अधिकारियों की जंग छिड़ी हुई है। तबादले के बाद भी एसडीएम भदोही को कानून व्यवस्था के नाम पर रिलीव नहीं किया जा रहा है। यह पहला वाकया नहीं है। इसके पहले भी औराई तबादला होने के बाद भी वह छह माह तक भदोही स्थित सरकारी आवास में ही डेरा डाले हुए थे। अधिकारी सरकारी वाहनों में ईंधन के नाम पर सरकार को लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं।

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भदोही तहसील में बुधवार को डा. जीपी यादव के पहुंचते ही बवाल मच गया। उप जिलाधिकारी भदोही आशीष मिश्रा और जीपी यादव में जंग छिड़ गई। दोनों अधिकारी एक दूसरे को देख लेने की धमकी भी देने लगे थे। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसडीएम भदोही को गुरुवार को तलब किया। वह कैंप कार्यालय में करीब तीन घंटे तक डटे रहे। हकीकत यह है कि शासन ने आशीष मिश्रा का तबादला पीलीभीत के लिए कर दिया है। डीएम ने उनके न्यायिक सहित अन्य अधिकार को सीज कर दिया है। जानकारों का कहना है कि यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी तत्कालीन जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद ने आशीष मिश्रा को औराई और औराई के एसडीएम चंद्रशेखर को ज्ञानपुर कर दिया था। इसके बाद भी चंद्रशेखर औराई स्थित आवास और आशीष मिश्रा भदोही स्थित सरकारी आवास पर डेरा डाले हुए थे। करीब छह माह तक दोनों अधिकारी सरकारी वाहन से आते-जाते रहे। जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने छह माह बाद फिर दोनों अधिकारियों को जहां का तहां कर दिया। इस संबंध में डीएम से बात करने की कोशिश की गई तो उनका सीयूजी नंबर एक कर्मचारी ने रिसीव किया। दो-तीन बार फोन करने के बाद भी सीयूजी नंबर पर बात नहीं हो सकी।

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सरकारी धन का दुरुपयोग कर कर रहे हैं अधिकारी

अभी भी कई अधिकारी सरकारी धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। तहसीलदार ज्ञानपुर को चार्ज लिए इतने दिन हो गए लेकिन वह औराई से ही सरकारी वाहन से आते-जाते हैं। यह तो एक बानगी भर है। इसके अलावा भी कई अधिकारी सरकार के धन को पानी की तरह बहा रहे हैं। उच्चाधिकारी भी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं।


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