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डूबा ताल, किसान परिवार हुए बेहाल

पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि ने एक ओर उपरवार क्षेत्र में स्थित किसानों को राहत दे दी है। किसान परिवार धान की फसल को लेकर बेहद आशान्वित हो उठे। वहीं डीघ ब्लाक क्षेत्र में करीब पांच सौ बीघे क्षेत्र में फैले ऊंज व कुरमैचा ताल से जुड़े किसान जल जमाव से बेहाल हो

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 04:58 PM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 04:58 PM (IST)
डूबा ताल, किसान परिवार हुए बेहाल
डूबा ताल, किसान परिवार हुए बेहाल

जागरण संवाददाता, ऊंज (भदोही) : पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि ने एक ओर उपरवार क्षेत्र में स्थित किसानों को राहत दे दी है। किसान परिवार धान की फसल को लेकर बेहद आशान्वित हो उठे। वहीं डीघ ब्लाक क्षेत्र में करीब पांच सौ बीघे क्षेत्र में फैले ऊंज व कुरमैचा ताल से जुड़े किसान जल जमाव से बेहाल हो उठे हैं। पानी निकासी की कोई व्यवस्था न होने से डूबे ताल के धान की तैयार फसल बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी है। इससे बेहाल किसानों को भविष्य के भोजन की चिता सालने लगी है। प्रतिवर्ष इस समस्या से दो-चार हो रहे किसानों की ओर न तो किसी अधिकारी का ध्यान है न ही जन प्रतिनिधि का।

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केस 1 : ऊंज निवासी छोट्टन सिंह का चार बीघे धान की फसल डूबी है। उनकी सारी लागत व मेहनत बर्बाद हो चुकी है। उनकी चिता यह है कि उसी के भरोसे वर्ष भर के चावल की उम्मीद लगी थी। अब कहां से आएगा समझ में नहीं आ रहा है।

केस 2 : ऊंज के ही धर्मराज यादव व कुरमैचा के एके चौबे की चार-चार बीघे फसल जल जमाव से बर्बाद हो चुकी है। उपज की उम्मीद समाप्त हो चुकी है। अब कैसे होगा पूरे वर्ष भर के भोजन की व्यवस्था चिता सालने लगी है।

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उठती रही है मांग

फसल भी बर्बाद होने का यह मामला पहली बार नहीं हुआ है। करीब प्रति वर्ष ऐसी समस्या उत्पन्न होती है। किसान कई वर्ष से पानी निकासी को लेकर मांग उठा रहे हैं लेकिन आज तक न तो जिला प्रशासन के किसी अधिकारी ने ध्यान दिया न तो अधिकारी ने। यदि पहले बारिश हो गई तो धान की रोपाई ही नहीं हो पाती। बाद में हुई तो जल डुबान से फसल नष्ट हो जाती है। किसानों का कहना रहा कि पानी निकासी की व्यवस्था हो जाती तो किसानों को राहत मिलती। किसानों ने पीड़ित परिवारों को क्षतिग्रस्त फसल का मुआवजा दिलाने की मांग की है।

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-ऊंज व कुरमैचा ताल से निकलकर बिछियां, विश्वनाथपुर, सोबरी आदि गांवों के होते हुए मोरवा नदी तक गया नाला जगह-जगह पट गया है। यदि इसकी खोदाई करा दी जाय तो पानी निकासी हो जाएगी। साथ ही किसानों की समस्या का समाधान हो जाएगा।


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