अधिक पैदावार की लालच में रासायनिक खाद का अंधाधुंध प्रयोग रोकें
हमारे जीवन के साथ ही फसलों के उत्पाद में स्वस्थ मिट्टी का बहुत महत्व है। मिट्टी से ही खेतों में पैदावार होती है। हर ईंशान के शरीर को ईश्वर ने मिट्टी से ही तराशा है। लेकिन हम हर रोज मिट्टी को खराब करते जा रहे हैं। अच्छे उत्पाद व मिट्टी की ताकत उपजऊ शक्ति बरकरार रखने के लिए मिट्टी का जांच कराना बहुत जरूरी है। इससे उर्वरक प्रयोग की जरूरत की जानकारी होती है। जिसके हिसाब से फसलों में उर्वरक का प्रयोग कर मिट्टी को उपजाऊ शक्ति बढ़ जाती है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : जीवन के साथ फसलों की पैदावार में मिट्टी का स्वस्थ होना जरूरी है। लेकिन रोज मिट्टी को खराब किया जा रहा है। इसलिये मिट्टी की जांच होनी चाहिये। जांच रिपोर्ट के बाद कौन सा उर्वरक इस्तेमाल करें, इसकी जानकारी मिल जाती है। सुझाव दिये गये उर्वरक के प्रयोग से फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। शुक्रवार को
दैनिक जागरण के प्रश्न पहर पहर कार्यक्रम में जिला कृषि अधिकारी अशोक कुमार प्रजापति ने किसानों की ऐसे खेती के कई टिप्स दिये। कहा कि ज्यादा उत्पादन की लालच में खेतों में रासायनिक खाद का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है। उर्वरक प्रयोग की अधिकता से मिट्टी खराब हो जा रही है।
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सवाल : मिट्टी की जांच के लिए क्या विधि अपनाएं। जांच कहां होगी।
जवाब : एक एकड़ क्षेत्र में आठ से दस स्थानों से अंग्रेजी के वी आकार में छह इंच गहरा गड्ढा बनाएं। सभी गड्ढे की मिट्टी को मिलाकर आधा किग्रा नमूना बनाएं। नमूने से कंकड़ व घास अलग करें। मिट्टी को बैग में भरकर उसमें नाम, पता, गाटा संख्या व फसल की बोवाई का ब्योरा लिखकर नमूना घरांव स्थित कृषि भवन कार्यालय में उपलब्ध कराएं। जांच कराकर मिट्टी की उर्वराशक्ति की रिपोर्ट देखी जाएगी। कमी के हिसाब से उर्वरक प्रयोग कर अच्छी पैदावार की जानकारी मिलेगी। सवाल : फसलों के अच्छी पैदावार के लिये कब कराई जा सकती है मिट्टी की जांच।
जवाब : किसी भी खेत के मिट्टी की जांच प्रत्येक तीन वर्ष में एक बार कराना जरूरी है। जांच तब करानी चाहिए, जब मिट्टी में नमी कम हो। फसल शुरू होने से पहले मिट्टी की जांच करा लेना चाहिये। सवाल : मिट्टी की जांच कराने के फायदे बतायें।
जवाब : मिट्टी की जांच से मिट्टी के विकारों की जानकारी हो जाती है। जरूरी पोषक तत्वों की उपलब्धता, बोई जाने वाली फसल के अच्छे उत्पाद के हिसाब से उर्वरक प्रयोग की जरूरत की जानकारी होती है। सवाल : उपजाऊ मिट्टी की पहचान बताइये।
जवाब : मिट्टी की बनावट बहुत पेंचिदा है। वर्षों तक खेती का अनुभव होने के बावजूद भी किसान मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का सही अंदाजा नहीं लग सकता है। पोषक तत्व की कमी का असर मिट्टी में धीरे होता है। जरूरी है कि कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव पर निर्धारित समय के भीतर मिट्टी की जांच कराएं। सवाल : मृदा परीक्षण से किसानों को जानकारी क्या मिलती है।
जवाब : मिट्टी की जांच से उपलब्ध नाइट्रोजन फॉस्फोरस, पोटाश, भौतिक बनावट, बोई जाने वाली फसल में जरूरी खाद की मात्रा व रसायन के प्रयोग की जानकारी मिलती है। सवाल : सागररायपुर में 50 किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं मिली।
जवाब : आप सागररायपुर के ग्राम प्रधान हैं, कृषि विभाग के कार्यालय में आएं। पूरी लिस्ट मिलेगी लाभार्थियों की। खाता व आधार नंबर का मिलान कर अवगत कराएं। त्रुटि सुधार होगा। सवाल : सूरजमुखी की पैदावार बेहतर कैसे हो।
जवाब : सूरजमुखी की खेती को उपयुक्त समय फरवरी है। बारिश के पहले फसल तैयार हो जाए। उपयुक्त बीच का शोधन कर बोआई करें तो पैदावार अच्छी होगी। एक से दूसरे पौधे की बीच दूरी पर्याप्त रखें। फॉस्फोरस का उपयोग करें। सवाल : गेहूं की फसल में घोड़जई व बथुआ पैदावार को प्रभावित कर रहे हैं, क्या करें।
जवाब : मेट सल्फ्यूरॉन व सल्फेट सल्फ्यूरॉन को एक यूनिट पैकिग को प्रति एकड़ भूमि में 250 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। घास नष्ट हो जाएगी।
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इन्होंने किये सवाल : धर्मेंद्र सिंह ऊंज, जटाशंकर तिवारी रघुरामपुर, निहाल अली खमरिया, विजय बहादुर मौर्य खमरिया, आनंद कुमार पांडेय सोनैचा, सुनील कुमार मौर्य कड़ोर, जगदीश तिवारी पिलखुना, दीनानाथ श्रीवास्तव भदोही, नीरज मिश्र सहसेपुर, अशोक कुमार श्रीवास्तव फत्तूपुर, टिकू शुक्ल सागररायपुर व रवींद्र कुमार यादव निवासी नरथुआ।