दिग्गजों की है कतार, शिवपाल के इशारे का इंतजार
विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी कुनबे में हुए बिखराव के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा और पूर्व लोक निर्माण मंत्री शिवपाल ¨सह यादव को लेकर चल रहे तरह-तरह के कयासों पर विराम लग गया।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी कुनबे में हुए बिखराव के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा और पूर्व लोक निर्माण मंत्री शिवपाल ¨सह यादव को लेकर चल रहे तरह-तरह के कयासों पर विराम लग गया। आखिरकार उन्होंने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन कर आगामी लोकसभा चुनाव में ताल ठोंकने की तैयारी कर दी है। अलग मोर्चा गठन की जानकारी होते ही कालीन नगरी में भी सियासत गरमा गई। अब तक समाजवादी पार्टी में उपेक्षित पड़े कई दिग्गजों को संजीवनी मिल गई है।
समाजवादी पार्टी में विधानसभा चुनाव के पहले करीब छह माह पिता-पुत्र में जो सियासी दांव-पेंच चला था वह सर्वविदित है। अभी भी समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम ¨सह कुछ न कुछ बोलकर उस सियासी उठा-पटक के याद ताजा कराते रहते हैं। उसी समय पूर्व लोक निर्माण मंत्री शिवपाल को लेकर अलग पार्टी गठन करने और भाजपा के साथ जाने आदि-आदि की सियासी बवंडर आते-जाते रहे। गत दिनों अमर ¨सह ने भी खुले मंच से इसका खुलासा कर पर्दे के पीछे चल रहे राजनीतिक खेल को सामने रख दिया था। आखिरकार करीब डेढ़ साल से चल रहे सियासी ड्रामेबाजी और कयासों पर विराम लग गया और शिवपाल ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन कर दिया। नवगठित मोर्चा वर्तमान सियासत पर क्या असर डालेगा यह तो भविष्य के गर्त में हैं लेकिन समाजवादी पार्टी में अब तक उपेक्षित रहे कई दिग्गजों को संजीवनी मिल गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक-दो दिन में उन दिग्गजों का चेहरा भी सामने आ जाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि ग्रामीण अंचलों में भी नाराज गुट के लोग शिवपाल के झंडा उठा सकते हैं। इससे समाजवादी दल को जोर का झटका धीरे से लग सकता है। शिवपाल के खास रहे पूर्वांचल के एक दिग्गज पर सबकी नजर
पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल के खास रहे पूर्वांचल के एक दिग्गज की नजर है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि एक वक्त था जब पूर्वांचल के उस दिग्गज का शिवपाल का पूरा वरदहस्त था। अभी भी वह उनके बखान करते नहीं थकते हैं। समाजवादी मोर्चा का गठन होते ही दिग्गज को लेकर चट्टी-चौराहों पर सियासत में उबाल आ गया। हालांकि उनके लोगों का कहना है कि माननीय महराज जी के भक्त हैं। इसलिए वह कहीं भी आने-जाने वाले नहीं हैं। महराज जी जहां कहेंगे वहीं जाएंगे।