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श्रीराम ने किया वन प्रस्थान, दशरथ ने त्यागे प्राण

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) औराई क्षेत्र के बाबूसराय व चौरी के लठियां गांव में चल र

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 04:33 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 04:33 PM (IST)
श्रीराम ने किया वन प्रस्थान, दशरथ ने त्यागे प्राण

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : औराई क्षेत्र के बाबूसराय व चौरी के लठियां गांव में चल रहे रामलीला मंचन में कलाकारों ने विविध लीलाओं का उत्कृष्ट मंचन किया। रामलीला स्थल पर जुटे दर्शक मंचन देख जयकारा लगाते रहे। बाबूसराय में बुधवार की रात राम वनगमन, दशरथ के प्राण त्यागने तो लठिया में धनुष यज्ञ व राम-सीता विवाह की लीला का मंचन किया गया।

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बाबूसराय प्रतिनिधि के अनुसार : बाबूसराय की लीला मंचन में प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण व सीता सहित वन को प्रस्थान कर देते हैं। मंत्री सुमंत बहुत समझाते हैं लेकिन वह वापस नहीं लौटते। राम के वापस न लौटने की खबर पर राजा दशरथ विलाप करते-करते रानी कौशल्या को कुमार श्रवण की कहानी बताते हैं कि जब मैं राजकुमार था तो शब्दभेदी बाण से श्रवण कुमार को मृग समझ कर मार दिया था। तब उनके माता-पिता ने मुझे श्राप दिया कि जिस पुत्र वियोग में हम मर रहे हैं। एक दिन तुम भी मरोगे। इसके बाद वह प्राण त्याग देते हैं। यहां मंचन को विराम दे दिया जाता है। समिति के अध्यक्ष अनेश सिंह, विशाल सिंह, मुन्ना, विमल, मनोज, अरविद आदि मंचन संपन्न कराने में लगे रहे।

चौरी प्रतिनिधि के अनुसार : क्षेत्र के लठिया गांव में चल रही रामलीला में तीसरे दिन धनुष यज्ञ व सीता विवाह का मंचन किया गया। राजा जनक प्रतिज्ञा करते हैं कि जो भी राजा या राजकुमार शिव धनुष का खंडन करेगा उसी के साथ पुत्री सीता का विवाह होगा। स्वयंवर में अन्य राजा के अलावा गुरु विश्वामित्र के साथ राम व लक्ष्मण भी पहुंचे थे। कोई धनुष का खंडन नहीं कर सका। इस बात को लेकर राजा जनक चितित हो गए। फिर गुरु विश्वामित्र के आदेश पर राम ने धनुष का खंडन किया। इसके बाद धूमधाम से राम व सीता का विवाह संपन्न कराया जाता है। यहीं मंचन समाप्त हो जाता है। छोटेलाल तिवारी, राकेश शुक्ला, धनीशंकर यादव, जीत तिवारी, दया शुक्ल आदि मंचन संपन्न कराने में लगे रहे।


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