छायावाद में समाहित है मानव कल्याण की भावना
छायावाद ¨हदी साहित्य में एक ऐसा काव्यांदोलन है जो संपूर्ण विश्व में मानव कल्याण की भावना को समाहित किए हुए है। उस युग के जयशंकर प्रसाद से लेकर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा व सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तक ने ऐसे साहित्य का सृजन किया जो मानव व विश्व कल्याण की कामना करता है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : छायावाद ¨हदी साहित्य में एक ऐसा काव्यांदोलन है जो संपूर्ण विश्व में मानव कल्याण की भावना को समाहित किए हुए है। उस युग के जयशंकर प्रसाद से लेकर सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा व सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तक ने ऐसे साहित्य का सृजन किया जो मानव व विश्व कल्याण की कामना करता है। काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में ¨हदी परिषद की ओर से सोमवार को आयोजित छायावाद के सौ वर्ष विषयक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक डा. राजकुमार पाठक ने ये बातें कहीं। इस दौरान परिषद की ओर से पिछले दिनों संपन्न प्रतियोगिताओं प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि इस युग का साहित्य प्रकृति प्रेम, नारी सौंदर्य, मानवता आदि को भी विविध रूपों में अभिव्यक्ति करता है। विभागाध्यक्ष ¨हदी किरण शर्मा ने विषय प्रवर्तन करते हुए छायावाद के उछ्वव व विकास पर विस्तार से प्रकाश डाला। शालिनी गुप्ता, वंदना यादव, सरिता प्रजापति, राजेश, सविता यादव, कृष्ण कुमार मिश्र आदि ने काव्य पाठ, देशभक्ति गीत व अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए। मुख्य अतिथि व प्राचार्य डा. पीएन डोंगरे ने शुभारंभ किया। डा. आलोक रंजन ¨सह यादव, डा. प्रीति कुमारी सहित डा. सुरेंद्र ¨सह यादव, डा. चंद्रभान, डा. अजय सोनकर ने विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया।