संस्कृत शिक्षा का खेल, व्यवस्था फेल
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) राजाराम संस्कृत विद्यालय जखांव सरस्वती संस्कृत विद्यालय रजपुर
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : राजाराम संस्कृत विद्यालय जखांव, सरस्वती संस्कृत विद्यालय रजपुरा व संस्कृत विद्यालय रोटहां, में एक भी शिक्षक की तैनाती नहीं रह गई है। विद्यालयों में ताला लटक चुका है। यह हाल है देववाणी का गौरव हासिल करने वाले संस्कृत भाषा की शिक्षा देने के लिए संचालित राजकीय माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों का। संस्कृत की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल चल रही है। संस्कृत भाषा को भारतीय संस्कृति व सभ्यता की पहचान भी माना जाता है। इसके बाद भी संचालन के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है। माध्यमिक स्तर पर संचालित संस्कृत पाठशालाओं में कहीं बच्चे नदारद हैं तो कहीं गुरुजी। स्थिति यह है जिले में संचालित 13 विद्यालयों के सापेक्ष मात्र 11 शिक्षकों की तैनाती रह गई है। इससे कई स्कूलों में ताला लटक चुका है। ऐसे में कैसे तैयार होंगे संस्कृत के विद्वान इसे लेकर भी सवाल खड़ा हो चुका हैं। स्थिति यह है कि शासन-प्रशासन स्तर से संस्कृत विद्यालयों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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एक मात्र शिक्षक के भरोसे राजकीय संस्कृत महाविद्यालय
- एक मात्र राजकीय संस्कृत महाविद्यालय को भी देखा जाय तो शिक्षकों के चार पद सृजित हैं लेकिन मात्र एक शिक्षक की तैनाती है। जबकि महाविद्यालय में पूर्व मध्यमा से लेकर शास्त्री तक की कक्षाओं का संचालन किया जाता है। प्राचार्य आद्या प्रसाद विश्वकर्मा ने बताया कि शिक्षकों की तैनाती के लिए कई बार निरीक्षक संस्कृत पाठशाला को पत्र लिखा जा चुका है। नियुक्ति का मामला शासन स्तर का है। उनके द्वारा जो विद्यार्थी आते हैं उन्हें शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है।
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चार संस्कृत विद्यालयों के लिए पहुंचे 211 आवेदन
- शासन स्तर से राजकीय माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में संविदा पर शिक्षकों की तैनाती के लिए अनुमति दी है। इसके लिए चार विद्यालयों की ओर से तैनाती के लिए प्रक्रिया शुरू की। तो 211 आवेदन पत्र प्राप्त हुए। जांच में 131 आवेदन पत्रों को निरस्त किया जा चुका है। मात्र 80 अभ्यर्थी की तैनाती के लिए योग्य पाए गए हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक नंदलाल गुप्ता ने बताया कि साक्षात्कार की तिथि आठ से 12 अक्टूबर तक रखी गई है। इससे चार संस्कृत विद्यालयों को शिक्षक मिलने की उम्मीद जग गई है।