रुक्मिणी विवाद प्रसंग सुन भक्त हुए भाव विभोर
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जासं, भदोही : गजिया रेलवे फाटक स्थित श्रीराम मंदिर शक्तिकुंज में चल रहे सप्ताहव्यापी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठें पीठाधीश्वर आचार्य रमन तिवारी ने श्रीकृष्ण रासलीला व रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाकर उपस्थित भक्तों को भाव विभोर कर दिया। कहा कि श्रीमद भागवत कथा सिर्फ सुनने के लिए नहीं बल्कि जीवन में उतारने की जरूरत है। कथा सुनकर किसी का मन परिवर्तित नहीं होता तो समय बरबाद करने के बराबर है।
आचार्य ने मंगलवार को रासलीला के वर्णन से कथा शुरू की। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने शरद् पूíणमा की धवल रात्रि में व्रजगोपियों के संग रासलीला की थी। इसी तरह श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का मनोहारी वर्णन किया। बताया कि विदर्भ देश में भीष्मक नामक एक परम तेजस्वी व सद्गुणी नृपति राज्य करते थे। रुक्मिणी जब विवाह योग्य हो गई तो भीष्मक को उसके विवाह की चिता हुई। रुक्मिणी के पास जो लोग आते-जाते थे, वे श्रीकृष्ण की प्रशंसा किया करते थे। वे रुकमणी से कहा करते थे श्रीकृष्ण अलौकिक पुरुष हैं। श्रीकृष्ण के गुणों व सुंदरता पर मुग्ध होकर रुकमणी ने निश्चय किया कि वह श्रीकृष्ण को छोड़कर किसी को भी पति रूप में वरण नहीं करेगी। भीष्मक का बड़ा पुत्र रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था। वह बहन का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था, शिशुपाल भी श्रीकृष्ण से द्वेष रखता था। आयोजक पुजारी श्रीश्री 108 शिवदास जी (फलहारी बाबा), गिरधारी लाल, रूद्रकुमार राय, सलिल श्रीवास्तव, कौशल राय, अशोक राय व नागेंद्र श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।