अल्लामा इकबाल को किया याद
जासं, भदोही : सारे जहां से अच्छा ¨हदोस्तां हमारा-हम बुलबुले हैं इसके ये गुलसितां हमारा के रचयिता अल्
जासं, भदोही : सारे जहां से अच्छा ¨हदोस्तां हमारा-हम बुलबुले हैं इसके ये गुलसितां हमारा के रचयिता अल्लामा इकबाल के जन्म दिवस के अवसर पर शुक्रवार की रात कजियाना मोहल्ला स्थित एक प्रतिष्ठान में बज्मे गुलशने अदब के तत्वावधान में शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। इस दौरान जहां इकबाल की शख्सियत पर प्रकाश डाला गया वहीं अपनी शायरी के माध्यम से लोगों ने खिराजे अकीदत पेश की।
मुख्य अतिथि पूर्व श्रम अधिकारी मो. दाऊद ने कहा कि इकबाल ने फारसी व उर्दू में लगभग 12 हजार शेर लिखे थे तथा उन्हें भारतीय उप महाद्वीप के बड़े शायरों में गिना जाता है। इकबाल ने इंगलैंड के कैंब्रिज युनिवर्सिटी में शिक्षा हासिल की तथा बैरिस्टर बने। उनकी शायरी में देश प्रेम का जज्बा साफ तौर से महसूस किया जाता है। उस्ताद शायर मजनू भदोहवीं ने इकबाल की शायरी को मील का पत्थर का बताते हुए अपने कलाम सुनाए। शमशाद करीमी, कैसर जौनपुरी, फैयाज भदोहवीं, शाबान करीमी, जावेद आसिम सहित दर्जनों लोग थे।