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दो साल से मंत्रालय में फंसा 52 करोड़ का प्रस्ताव

आजादी के दशकों बाद भी शहरी क्षेत्र में शुद्ध पेयजल के लिए जनता तरस रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Aug 2021 06:27 PM (IST)Updated: Mon, 23 Aug 2021 06:30 PM (IST)
दो साल से मंत्रालय में फंसा 52 करोड़ का प्रस्ताव

जासं, भदोही : आजादी के दशकों बाद भी शहरी क्षेत्र में शुद्ध पेयजल के लिए जनता तरस रही है। आलम यह है कि नगर के वार्ड व हर मोहल्ले तक जलनिगम की पाइपलाइनें नहीं पहुंच सकी हैं। हैंडपंप, सबमर्सिबल पंपों के माध्यम से लोग प्यास बुझाने को विवश हैं। समस्या के समाधान के लिए स्टेट सेक्टर कार्यक्रम के तहत नगर पालिका परिषद में पेयजल पुनर्गठन के लिए जलनिगम ने 30 सितंबर 2019 को 5214.05 लाख का स्टीमेट शासन को भेजा था। दो साल बाद भी प्रस्ताव को हरी झंडी नहीं मिल सकी। जलनिगम की ओर से जिलाधिकारी के माध्यम से तीन बार रिमाइंडर भेजा जा चुका है।

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नगर पालिका परिषद के 25 वार्डों की आबादी करीब डेढ़ लाख है। तीन दशक पहले की आबादी के अनुसार ही पेयजल संसाधन स्थापित किए गए थे जो बढ़ती आबादी व पालिका परिसर के विस्तार के बाद बौने साबित हो रहे हैं। पिछले सात-आठ सालों में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पालिका ने काम किया था। पाइपलाइन का विस्तार कराया गया। अधिक समस्या वाले वार्डों में 65 सबमर्सिबल पंप स्थापित किए गए। बावजूद इसके समस्या बनी हुई है। विशेषकर गर्मी के दिनों में पेयजल को लेकर हाहाकार मच जाता है। छह नए ट्यूबवेल और छह ओवरहेड टैंक का निर्माण कराया जाएगा। नगर के बाहरी वार्डों घमहापुर, मामदेवपुर सहित पाइपलाइन से वंचित मोहल्लों में विस्तार कराया जाएगा। इसके अलावा जर्जर पाइपलाइनों को बदलने का काम होगा। बताया कि वर्तमान समय सात ट्यूबवेल के माध्यम से शहर में आपूर्ति की जाती है। बताया कि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत 65 सबमर्सिबल पंप स्थापित किए गए हैं।

प्रदीप यादव, अवर अभियंता, नगर पालिका परिषद भदोही।


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