ठिठके बुनकर तो ठप हो सकता है उत्पादन
जासं भदोही तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के बीच बिहार पश्चिम बंगाल सहित अन्य प्रांतों के काल
जासं, भदोही : तेजी से बढ़ रहे संक्रमण के बीच बिहार, पश्चिम बंगाल सहित अन्य प्रांतों के कालीन बुनकर व मजदूर सहम उठे हैं। मुंबई में वीकेंड, दिल्ली में नाइट कर्फ्यू के बीच प्रदेश में बिगड़ते हालात को देखते हुए होली पर्व मनाने के लिए घर लौटे मजदूर वापसी के लिए तैयार नहीं हैं। आस-पास जनपद के बुनकरों की भले ही वापसी हो रही है, लेकिन दूसरे प्रांत के बुनकर तैयार नहीं है। इससे कारखाना संचालकों की चिता बढ़ गई है। उनका कहना है कि जल्द ही बुनकरों की वापसी न हुई तो उत्पादन ठप हो जाएगा। इसके कारण मंदी के दौर में हो रहा थोडा बहुत निर्यात भी प्रभावित होने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
घमहापुर निवासी कमाल खान का कहना है कि उनके पास 15 लूम हैं। जिनपर 32 बुनकर काम करते थे। इस समय महज चार बुनकर बचे हैं जबकि शेष होली मनाने घर गए हैं। होली के बाद उनकी वापसी की उम्मीद थी लेकिन कुछ बुनकर फसलों की कटाई में जुट गए हैं तो कुछ लाकडाउन की आशंका से ग्रस्त हैं। इसी तरह मेराज अंसारी के कारखाने में 28 बुनकर थे। इन दिनों महज पांच बुनकर रह गए हैं। बड़ी संख्या में बुनकरों की घर रवानगी के बाद कारखानों में महज 15 से 20 फीसद उत्पादन कार्य हो रहा है। लोगों का कहना है कि हालात खराब हुए तो बुनकरों, मजदूरों की वापसी मुश्किल हो जाएगी। -
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जनपद में 500 से अधिक कारखाने :
जनपद में पांच सौ से अधिक कालीन कारखाने हैं। जहां 40,000 से अधिक बुनकर काम करते हैं। इसमें 80 फीसद गैर प्रांतों के बुनकर होते हैं। जो टफ्टेड, दरी, हस्तनिर्मित कालीनों के साथ हैंडलूम का उत्पादन होता है। लाकडाउन के दौरान शत प्रतिशत कारखानों में ताले लग गए थे। बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश सहित आसपास के जनपदों के बुनकर पलायन कर गए थे।