Move to Jagran APP

तस्करों ने बदला फंडा, हाईवे पर पुलिस ठंडा

पशु तस्करी हो या फिर वाहनों से वसूली। हाइवे हर समय सुर्खियों में रहा है। पुलिस डाल-डाल तो तस्कर पात-पात के तर्ज पर अपने कारोबार को बेधड़क संचालित करते रहते हैं। इन दिनों जब पुलिस का डंडा कुछ ठंडा पड़ा तो पशु तस्करी करने वाले तस्करों ने फंडा बदल दिया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 09:33 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 06:09 AM (IST)
तस्करों ने बदला फंडा, हाईवे पर पुलिस ठंडा
तस्करों ने बदला फंडा, हाईवे पर पुलिस ठंडा

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही): पशु तस्करी हो या फिर वाहनों से वसूली। हाइवे हर समय सुर्खियों में रहा है। पुलिस डाल-डाल तो तस्कर पात-पात के तर्ज पर अपने कारोबार को बेधड़क संचालित करते रहते हैं। इन दिनों जब पुलिस का डंडा कुछ ठंडा पड़ा तो पशु तस्करी करने वाले तस्करों ने फंडा बदल दिया। इसकी पुष्टि भी पुलिस की कार्रवाई से की जा सकती है। सुरियावां और औराई में छोटे वाहन और कंटेनर से वध के लिए गोवंश को ले जाते समय पुलिस ने पकड़ा था। तस्कर तो फरार हो गए चालकों को ही गिरफ्तार कर मामला दर्ज कर कार्रवाई की इतिश्री कर ली गई।

loksabha election banner

जिले से चालीस किमी गुजरने वाले हाइवे पर तीन मलाइदार थाने स्थित हैं। यहां की तैनाती राजधानी लखनऊ में बैठे आका के इशारे पर की जाती है। कभी पशु तस्करी तो कभी ट्रकों से वसूली को लेकर हाइवे का मुद्दा शासन-प्रशासन तक छाया रहता है। बहरहाल इधर तमाम बंदिशों के बाद वसूली पर तो रोक लग गई है लेकिन पशु तस्करी का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। पशु तस्करों ने फंडा ही बदल दिया है। छोटे वाहनों से गोवंश की तस्करी की जा रही है। अभी कुछ दिन पहले लग्जरी वाहन से ले जाते समय गोवंश पकड़े गए थे। तस्करों से साठगांठ करने वाले अधिसंख्य सिपाही भी जनपद से हटाए जा चुके हैं। इसके बाद भी हाइवे पर बेधड़क तस्करी हो रही है। एसपी रामबदन सिंह का कहना है कि जिले में पशु एवं मादक पदार्थों की तस्करी नहीं हो रही है। इसके बाद भी कहीं पर शिकायत मिली तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

---------------

मवेशियों की सुपुर्दगी में हो रहा खेल

मवेशियों की सुपुर्दगी में खेल किया जा रहा है। जनपद में 21 गो आश्रय संचालित होने के बाद भी पुलिस गोवंश को अन्य किसी जनपद के गोशाला में संरक्षित करने की कार्रवाई करती है। पुलिस गोवंश की तस्करी मामले में गोवध निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई करती है। बरामद गोवंश कहां चले जाते हैं इसका पता लगाना मुश्किल है। औराई में अभी कुछ दिन पहले गोवंश बरामद हुए थे लेकिन मवेशियों का पता नहीं है। सूत्रों का कहना है कि कार्रवाई के बाद तस्कर ही मवेशियों को उठा ले जाते हैं। यह सब पुलिस के साठगांठ से होता है। इससे पुलिस और तस्करों दोनों अपने मकसद में सफल हो जाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.