टिकट होने पर ही रेल विभाग के खिलाफ दावा कर सकते हैं प्रवासी
कोविड-19 महामारी में महाराष्ट्र सहित अन्य प्रांतों में फंसे प्रवासियों को ट्रेन में यात्रा भी करना महंगा पड़ा। एक दिन में यात्रा पूरी करने के बजाए तीन से चार दिन तक ट्रेन में ही गुजर जा रहा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही): कोविड-19 महामारी में महाराष्ट्र सहित अन्य प्रांतों में फंसे प्रवासियों को ट्रेन में यात्रा भी करना महंगा पड़ा। एक दिन में यात्रा पूरी करने के बजाए तीन से चार दिन तक ट्रेन में ही गुजर जा रहा है। इसके साथ ही रेल विभाग की ओर से सुविधा भी नहीं दी जा रही है। भूखे-प्यास से प्रवासी कई रात गुजार दे रहे हैं। ऐसे में वरिष्ठ अधिवक्ताओं से जब सलाह लिया गया तो वह विभाग के खिलाफ दावा करने के लिए अलग-अलग सुझाव दिए।
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किसी भी व्यक्ति को दावा करने के पहले उसे उपभोक्ता होना जरूरी है। यदि वह उपभोक्ता है और उसे किसी तरह से धोखा दिया जाता है तो वह उपभोक्ता अदालत में वाद दाखिल कर सकता है। रेल यात्रा कर रहे प्रवासियों के पास यदि उनके नाम का टिकट है और उन्हें धोखा दिया गया तो वह वाद दाखिल कर सकते हैं। कुल मिलाकर मुख्य बात यह है कि किसी को भी दावा करने के पहले उसे उपभोक्ता होना जरूरी है।
चित्र.25. हंसाराम शुक्ला।
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अधिसंख्य प्रवासियों को रेल मंत्रालय से टिकट जारी किया गया है। यदि प्रवासी अपना भुगतान कर टिकट प्राप्त किए हैं तो वह उपभोक्ता के श्रेणी में आएंगे। दावा करने के लिए उपभोक्ता होना जरूरी है।
चित्र.26. स्वामीनाथ मिश्रा।
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रेल कानून से चलेगा। रूट बदल देने से यात्रियों को कई दिनों तक परेशान होना पड़ रहा है। यात्रा में कई बच्चों की मौत हो गई। भूख-प्यास से यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी। इसके लिए रेल विभाग को क्षतिपूर्ति देनी चाहिए। यात्री भी इसके लिए रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल में दावा कर सकते हैं।
चित्र.27. तेज बहादुर यादव।
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प्रवासियों को यात्रा में बहुत परेशानी उठानी पड़ी है। सुविधाएं नहीं दी गई हैं। यदि उनके पास यात्रा करने का टिकट है तो क्षतिपूर्ति का दावा कर सकते हैं। रेल विभाग भी क्षतिपूर्ति देनी होगी।
चित्र.28. राजेश मालवीय।