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अफसरों के ठेंगे पर सीएम के दूत का फरमान

सीएम के दूत और जनपद के नोडल अधिकारी अनिल कुमार आए और चले गए लेकिन उनके फरमान को अफसरों ने ठेंगा दिखा दिया। आलम यह है कि एक माह बीत गए लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक ने राजकीय इंटर कालेज के सौंदर्यीकरण को लेकर एक चिट्ठी भी लिखना मुनासिब नहीं समझा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 06:19 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 06:19 PM (IST)
अफसरों के ठेंगे पर सीएम के दूत का फरमान
अफसरों के ठेंगे पर सीएम के दूत का फरमान

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही): सीएम के दूत और जनपद के नोडल अधिकारी अनिल कुमार आए और चले गए लेकिन उनके फरमान को अफसरों ने ठेंगा दिखा दिया। आलम यह है कि एक माह बीत गए, लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक ने राजकीय इंटर कालेज के सौंदर्यीकरण को लेकर एक चिट्ठी भी लिखना मुनासिब नहीं समझा। दो दिन बीत गए, लेकिन उप जिलाधिकारी ज्ञानपुर ने न तो गंदगी फैलाने वालों को नोटिस दी और न लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं द्वारा बजबजाती नाली की सफाई कराई गई।

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जनपद के नोडल अधिकारी 13 अगस्त को जनपद में आए थे। वह 14 अगस्त को विभूति नारायण राजकीय इंटर कालेज का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान छात्रों को जहां शिक्षा का टिप्स दिया था तो वहीं विद्यालय के सौंदर्यीकरण कराने का निर्देश जिला विद्यालय निरीक्षक को दिया था। इस दौरान अधिकारियों के सामने जिला विद्यालय निरीक्षक ने बजट को लेकर खूब तामझाम बताया था लेकिन उनके फरमान रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। जिला विद्यालय निरीक्षक अशोक चौरसिया के बातों पर गौर किया जाय तो अभी तक कोई लिखित पत्र प्रधानाध्यापक को नहीं भेजा गया है। मौखिक रूप से आगणन तैयार कराने को कहा गया था। अहम सवाल यह उठता है कि सीएम के दूत के फरमान को अधिकारी इतने हल्के में क्यों ले रहे हैं। क्या वह जब भी दौरे पर आते हैं तो किए गए अनुपालन की समीक्षा नहीं करते हैं। शायद ही इसका जवाब जनपद के अधिकारियों के पास होगा। दो दिन पूर्व नोडल अधिकारी ने लोक निर्माण विभाग का निरीक्षण किए थे। उन्होंने कबाड़ की नीलामी करने के साथ ही साथ नालियों की सफाई कराने का निर्देश दिया था। यही नहीं उप जिलाधिकारी को संबंधित अधिकारी और लोगों को नोटिस जारी कर अर्थदंड लगाने का भी निर्देश दिया था। इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग के सामने खाली भूमि के संबंध में भी जानकारी लेने और निस्तारित कराने को कहा था। उनके जाते ही अधिकारी फरमान को रद्दी की टोकरी में डाल दिए। उनके निर्देश का कितना अनुपालन किया जाता है इसका अंदाजा नाली और इंटर कालेज को देखकर आसानी से किया जा सकता है।


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