ऑनलाइन टेंडरिग बहाना, खास ठेकेदार लूट रहे खजाना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योजनाओं में पारदर्शिता और निविदा प्रक्रिया में भ्रष्ट व्यवस्था पर लगाम कसने के लिए भले ही ऑनलाइन सिस्टम लागू कर दिया है लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार की स्थिति में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही): मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ योजनाओं में पारदर्शिता और निविदा प्रक्रिया में भ्रष्ट व्यवस्था पर लगाम कसने के लिए भले ही ऑनलाइन सिस्टम लागू कर दिया है लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार की स्थिति में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है। अधिकारियों के खास रहे ठेकेदार सरकारी खजाना को लूट रहे हैं। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो ऑनलाइन निविदा होने के बाद भी लोक निर्माण विभाग में एक फर्म को अकेले कई सड़कों का काम सौंप दिया गया। अभी यह मामला थमा नहीं था कि ग्रामीण अभियंत्रण सेवा में भी निविदा को लेकर सवाल उठने लगे।
निविदा प्रक्रिया में धांधली के साथ ही साथ बाहुबल और धनबल को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रत्येक सरकारी विभागों में ई- टेंडरिग व्यवस्था लागू कर दिया है। यही नहीं लोक निर्माण विभाग में तो शासन ने ई- पेमेंट प्रक्रिया को लागू कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब जितना भी धन भुगतान होगा उसका चेक नहीं बनेगा। भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के लिए मुख्यमंत्री डाल-डाल तो अधिकारी और ठेकेदार पात-पात के तर्ज पर कार्य कर रहे हैं। आनलाइन निविदा होने के बाद भी अधिकारी मनचाहे और खास ठेकेदारों के पक्ष में ही कार्य करने में जुट गए हैं। लोक निर्माण विभाग में गत दिनों 163 सड़कों की निविदा खोली गई थी। ऑनलान होने के बाद भी प्रयागरोज के फर्म को अकेले कई सड़कों का काम दे दिया गया। विभागीय सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार से तालमेल कर विभागीय अधिकारी दूसरे ठेकेदार के डाली गई निविदा को रेट देख लेते हैं। इसकी जानकारी अपने खास लोगों को दे देते हैं। इसी का लाभ लेकर खास ठेकेदार रेट डाल देते हैं। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में भी निविदा को लेकर खेल रुकने का नाम नहीं ले रहा है। अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग हिरामणि वर्मा ने बताया कि ऑनलाइन निविदा में एक दूसरे का रिकार्ड कोई नहीं देख सकता है। जो ठेकेदार सबसे कम रेट डालेगा उसी को काम दिया जाएगा। प्रयागराज का एक फर्म को कम रेट डालने पर कई सड़कों का कार्य मिल गया है।
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कलेक्ट्रेट सहित तीन दफ्तरों में बिकना चाहिए ऑफलाइन टेंडर फार्म
शासनादेश के मुताबिक 10 लाख तक की निविदा ऑफलाइन किया जा सकता है। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में इन दिनों कई कार्यों को लेकर निविदा फार्म बिक रहा है। ठेकेदारों ने बताया कि नियमानुसार फार्म कलेक्ट्रेट, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग और मुख्य अभियंता के दफ्तर में निविदा फार्म बिकना चाहिए। विभाग के लोग अपने ही दफ्तर में अपने खास लोगों को फार्म बेच रहे थे। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्ट्रेट में भी फार्म बेचने का निर्देश दिया है।