बदला फंडा, डोर-टू-डोर चल रहा धंधा
कोरोना वायरस संक्रमण का विस्तार रोकने के लिए लॉकडाउन फोर चल रहा है। अर्थव्यवस्था बेपटरी न होने पाए। राइजिग इंडिया -जीतेगा भारत हारेगा कोरोना को आत्मसात कर चौथे चरण में थोड़ी ढील देते हुए शर्तों के साथ लोगों को रोजगार की अनुमति दी गई है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : कोरोना वायरस संक्रमण का विस्तार रोकने के लिए लॉकडाउन फोर चल रहा है। अर्थव्यवस्था बेपटरी न होने पाए। राइजिग इंडिया -जीतेगा भारत, हारेगा कोरोना को आत्मसात कर चौथे चरण में थोड़ी ढील देते हुए शर्तों के साथ लोगों को रोजगार की अनुमति दी गई है। अलग-अलग उत्पाद व सामान की दुकानों को दिन वार खोलने की समय तय किया गया है तो दुकानों पर क्या सुविधा व संसाधन रहने चाहिए इसे भी निर्धारित किया गया है। विशेषकर सैलून को खोलने के लिए साप्ताहिक बंदी को छोड़कर अन्य सभी दिनों में खोलने की अनुमति तो दी गई है लेकिन शर्त यह रखी गई है कि सैलून में केवल बाल काटने का ही काम होगा। सेविग व मसाज आदि नहीं किए जाएंगे।
कोरोना के इस संकट की घड़ी में किसी भी तरह के दुकानों को खोलना या फिर कारोबार संचालित करना किसी चुनौती से कम नहीं है। ग्राहक, कामगार से लेकर खुद दुकानदार व प्रतिष्ठानों के संचालकों तक में संक्रमण फैलने का खतरा बना रहेगा। बावजूद इसके जीविकोपार्जन के लिए कुछ न कुछ करना होगा। तय शर्तों के साथ जहां सैलून के धंधे से जुड़े कुछ लोग जहां दुकानें खोल रहे हैं तो डीघ ब्लाक क्षेत्र के गोधना गांव निवासी नन्हें सहित तमाम ने फंडा बदल दिया है। सैलून बंद कर डोर-टू-डोर पहुंचकर बाल काटने का धंधा शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि कोरोना वायरस का संक्रमण केवल बाल बनवाने या फिर सेविग आदि कराने के लिए पहुंचने वालों को ही नहीं होगा। यदि कोई प्रभावित दुकान पर पहुंच गया तो वह भी उसकी जद में आ जाएंगे। ऐसे में काम भी चलता रहे व सुरक्षा भी बनी रहे डोर-टू-डोर पहुंचकर लोगों के बाल काटने का काम कर रहे हैं। नन्हें ने बताया कि वह केवल ऐसे लोगों के यहां ही बाल काटने का काम कर रहे हैं जिनके यहां हाल में कोई परदेस से नहीं आया है। इसके साथ ही जहां जाते हैं अपना कपड़ा इस्तेमाल नहीं करते तो गर्म पानी मंगाकर कैंची से लेकर अन्य सामान को अच्छी तरह से धोते हैं। खासकर अपने जान-पहचान के लोगों में ही अपना धंधा चला रहे हैं।