दो साल से चीन के वेयर हाउस में फंसा लाखों का कालीन
पड़ोसी देश चीन से संबंध खराब होने के कारण कालीन उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। नए आर्डर में कमी आई है जबकि पुराने आर्डर के माल भी जहां तहां डंप हैं। कुछ लोगों के माल बंदरगाहों पर फंसे हैं तो कुछ गोदामों में डंप हैं। उधर चीन में आयोजित मेलों में भागीदारी करने वाले 20 से 25 निर्यातकों के सेंपल चाइना वेयर हाउस में दो साल फंसे हैं।
जागरण संवाददाता, भदोही : पड़ोसी देश चीन से संबंध खराब होने के कारण कालीन उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। नए आर्डर में कमी आई है जबकि पुराने आर्डर के माल भी जहां तहां डंप हैं। कुछ लोगों के माल बंदरगाहों पर फंसे हैं तो कुछ गोदामों में डंप हैं। उधर चीन में आयोजित मेलों में भागीदारी करने वाले 20 से 25 निर्यातकों के सेंपल चाइना वेयर हाउस में दो साल फंसे हैं।
जनवरी में जर्मनी के हनोवर शहर में डोमोटेक्स का आयोजन होता है जबकि मार्च में चीन के संघाई में एशियन डोमोटेक्स एशिया चाइना फ्लोर का आयोजन किया जाता है। दोनों मेलों में भाग लेने वाले निर्यातक डोमोटेक्स समाप्त होने के बाद कालीनों के सेंपल चीन भेज देते थे। जनवरी 2020 में अंतिम बार डोमोटेक्स का आयोजन किया गया था। उस दौरान 25 निर्यातकों ने कालीन के सेंपल चीन भेजे थे। उसी दौरान सीमा पर घमासान होने के चलते दोनों देशों के बीच संबंधों में खटास आ गई। इससे उनके माल चीन के वेयर हाउस में ही फंसे रह गए। चीन से कालीन व्यवसाय करने वाले निर्यातक संजय गुप्ता, परवेज हसन आदि का कहना है कि चीन कालीनों के निर्यात के लिए बड़ा बाजार है, लेकिन पिछले दो साल से काफी कमी आई है। इसके अलावा दो साल से लाखों का सेंपल चीन में फंसा है। परिषद में दर्ज नहीं शिकायत :-
कितने निर्यातकों के माल चीन में फंसे हुए हैं। इस संबंध में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) को कोई जानकारी नहीं है। परिषद में इस प्रकार की कोई शिकायत भी दर्ज नहीं है। भविष्य में निर्यातकों द्वारा इस संबंध में शिकायत की जाती है तो परिषद अपने स्तर से सैंपल (माल) निकलवाने का प्रयास करेगा।
-असलम महबूब, सदस्य, प्रशासनिक समिति (सीईपीसी)