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बेजुबानों से पनाह मांग रहा इंसान

बेसहारा गोवंश को आसरा देने को तमाम दावे हो रहे हैं। गो-आश्रय स्थलों के संचालन का दावा भी हो रहा है। बावजूद इसके बेजुबान सड़क पर जहां मौत का सामान बनकर टहल रहे हैं तो खेतों में किसानों की फसल के दुश्मन बने हैं। पशुधन राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद ने रविवार को भले ही पिपरिस में बन रहे गोशाला का निरीक्षण कर लिया हो अफसरों को उन्हें लेकर

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Dec 2019 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 01 Dec 2019 08:08 PM (IST)
बेजुबानों से पनाह मांग रहा इंसान
बेजुबानों से पनाह मांग रहा इंसान

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बेसहारा गोवंश को आसरा देने को तमाम दावे हो रहे हैं। गो-आश्रय स्थलों के संचालन का दावा भी हो रहा है। बावजूद इसके बेजुबान सड़क पर जहां मौत का सामान बनकर टहल रहे हैं तो खेतों में किसानों की फसल के दुश्मन बने हैं। पशुधन राज्यमंत्री जयप्रकाश निषाद ने रविवार को भले ही पिपरिस में बन रहे गोशाला का निरीक्षण कर लिया हो, अफसरों को उन्हें लेकर तमाम दिशा निर्देश दिए हों लेकिन नगर पालिका व पंचायतों में न तो विचरण कर रहे बेसहारा मवेशियों का आंकड़ा है और न ही ऐसे पशुओं से निबटने के लिए सटीक प्लान। जिदगियां चोटिल हो रही हैं, लोग अस्पताल पहुंच दम भी तोड़ रहे हैं। इंसान इनसे बचने को पनाह मांगने लगे हैं लेकिन नगर से लेकर ग्राम पंचायतों तक में इन्हें पकड़ने को लेकर सुविधाओं के अभाव का रोना जारी है।

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केस एक : 20 जनवरी को औराई थाना क्षेत्र के विक्रमपुर गांव में सांड़ ने शौच के लिए निकले टाकी पाल (75) पर हमला कर दिया। लोगों को जब तक जानकारी होती और पहुंचते उन्होंने दम तोड़ दिया।

केस दो : 11 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत परिसर में टहलता मवेशी पुलिस कर्मी खालिद खां पर उस समय हमलावर हो उठा जब बंदी को पेशी पर लेकर पहुंचा। जब तक लोग समझ पाते तक तक मवेशी उसे कई बार जमीन पर उठाकर पटक चुका था। गंभीर रूप से घायल होने पर सिपाही को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

केस तीन : हाल में गत 16 नवंबर को सुरियावां थाना क्षेत्र के कौड़र गांव में खेत देखने निकले गांव निवासी परमात्मा राम उपाध्याय पर फसल को चर रहा सांड़ हमलावर हो उठा। जब तक वह संभल पाते सांड़ ने उन्हें गंभीर अवस्था में पहुंचा दिया। गंभीर हाल में उन्हें जिला अस्पताल ज्ञानपुर में लाकर उपचार कराया गया।

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बन रहे फसल के दुश्मन

- दावे चाहे जो भी हों लेकिन वास्तविक धरातल पर कोई पहल न दिखाई पड़ने से मवेशी किसानों की फसल के भी दुश्मन बन चुके हैं। फसल को पहुंच रहे नुकसान से किसान बर्बादी की कगार पर पहुंचते जा रहे हैं। महंगी लागत लगाकर बोई गई फसल को पलक झपकते बर्बाद होते देख उन्हें समझ में नहीं आ पा रहा है कि क्या करें। का इन दिनों गांवों में छुट्टा मवेशियों की बाढ़ आ चुकी है। किसी गांव का कोई मुहल्ला ऐसा नहीं दिखाई पड़ता जहां चार-छह बेसहारा मवेशी टहलते न दिख रहे हों। जो महंगी लागत लगाकर तैयार की जा रही गेहूं सहित दलहन अरहर व चना व सब्जियों आदि की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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पकड़ने का नहीं चल रहा अभियान

- बेसहारा मवेशियों को पकड़ने की कोई व्यवस्था नगर से लेकर गांव तक नहीं दिखाई पड़ रही है। इसका नतीजा कभी ग्रामीण मवेशियों को विद्यालय भवन में ले जाकर बंद कर दे रहे हैं तो कभी पंचायत भवन में। पिछले माह नगर पंचायत ज्ञानपुर में एक दिन अभियान चलाकर दो मवेशियों को पकड़कर दायित्व की इतिश्री कर ली गई। जबकि आलम यह है कि ज्ञानपुर सहित भदोही, गोपीगंज, सुरियावां, घोसिया, खमरिया आदि नगरों में सड़कों पर झुंड के झुंड मवेशी डेरा जमाए बैठे रहते हैं।


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