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बिहार में लॉकडाउन, ठिठके बुनकरों के पांव

कोरोन महामारी के कारण बिहार प्रांत में पिछले दिनों लगे सम्पूर्ण लाकडाउन से कालीन उद्योग प्रभावित हो रहा है। वापसी कर रहे कालीन बुनकरों मजदूरों के कदम ठिठकने से कारखाना संचालकों की नींद उड़ गई है। लंबे समय से फंसे पुराने आर्डर पूरा करने का दबाव बना हुआ है जबकि बुनकरों के अभाव में उत्पादन कार्य तेजी नहीं पकड़ रहा है। हाल यह है कि 25 से 30 बुनकरों वाले कारखानों में महज आठ से दस बुनकर हैं। जिस कारखाने में 15 से 20 लूम चलते थे वहां अब दो या तीन पर काम हो रहा है। कारखाना संचालकों का कहना है कि जब तक बिहार में लाकडाउन रहेग तब तक बुनकरों की वापसी संभव नहीं है। ऐसे में समय से माल तैयार कराना टेढ़ी खीर है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 05:36 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 05:36 PM (IST)
बिहार में लॉकडाउन, ठिठके बुनकरों के पांव
बिहार में लॉकडाउन, ठिठके बुनकरों के पांव

जागरण संवाददाता, भदोही : कोरोना महामारी के कारण बिहार में संपूर्ण लॉकडाउन है। इसके चलते मजदूर वापस नहीं लौट पा रहे हैं, कालीन का कार्य प्रभावित चल रहा है चूंकि निर्यातकों पर पुराने आर्डर पूरे करने का दबाव है, इसलिये वे मजदूरों से लगातार संपर्क हैं। मजदूर आना भी चाह रहे हैं, लेकिन वह सीमा पर रोक लिये जा रहे हैं। मजदूरों के नहीं आने से कालीन उत्पादन कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहा है। 30 बुनकरों वाले कारखानों में सिर्फ 10 मजदूर ही काम कर रहे हैं। वहीं जिस कारखाने में 20 लूम चलते थे, वहां अब तीन पर काम हो रहा है। कारखाना संचालकों की मानें तो जब तक बिहार में लॉकडाउन रहेगा, तब तक बुनकरों की वापसी संभव नहीं है। ऐसे में समय से माल तैयार कराना टेढ़ी खीर है।

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500 कालीन कारखानों में लग चुके थे ताले

जिले में करीब पांच सौ कालीन कारखाने हैं, यहां टफ्टेड, दरी, हस्तनिर्मित कालीनों के साथ हैंडलूम का उत्पादन होता है। लॉकडाउन के दौरान शत प्रतिशत कारखानों में ताले लग गये थे। बिहार, बंगाल व मध्य प्रदेश सहित आसपास के जनपदों के बुनकर पलायन कर गए। अनलॉक-1 के दौरान कुछ छूट मिलने व सड़क यातायात बहाल होने के बाद बिहार के बुनकर लौटने लगे थे। फिर ठप पड़े कालीन कारखाने चलने लगे, लेकिन अधिकांश मजदूर अभी वहीं फंसे हैं।

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नहीं मिलेंगे मजदूर तो कैसे पूरा करेंगे आर्डर

घमहापुर के कालीन कारखाना संचालक कमाल खान ने बताया कि उनके यहां 15 लूम पर 30 बुनकर काम करते थे लेकिन इन दिनों 14 बुनकर हैं। कारोबारी मेराज अंसारी कहते हैं कि उनके कारखाने में लॉकडाउन के पहले 22 बुनकर थे लेकिन इस समय सात से ही काम लिया जा रहा है। शर्फुद्दीन के कारखाने में 14 बुनकर थे। वर्तमान समय 6 लोग हैं। साहबजान हाशमी के कारखाने में 12 बुनकर थे, अब चार लोग हैं। बिहार में लॉकडाउन नहीं होता तो 50 फीसद बुनकर वापस आ गए होते।


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