गुड़ और तिल सेहत का खजाना, सेवन से कई रोग होते दूर
जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति क
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश करना मकर संक्रांति कहलाता है। संक्रांति के लगते ही सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण आ जाते हैं। दिन बड़े और रात छोटी होने लगती है। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक समय तक व रात के अंधकार का समय घटने लगता है। इससे संक्रांति को अंधकार पर प्रकाश के जीत के रूप में भी माना जाता है। मकर संक्रांति भ्रातृत्व भावना के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पारस्परिक वैमनस्य को भूलकर लोग आपस में भाईचारे से मिलते हैं। सूर्य देव से अपने व राष्ट्र के सौभाग्य वृद्धि की कामना करते हैं। विशेषकर मकर संक्रांति के पर्व पर तैयार होने वाले गुड़ व तिल के व्यंजन की भी विशेषता है। शीतकाल में पड़ने वाले पर पारंपरिक रूप से गर्म तासीर (स्वभाव) वाले तमाम औषधीय गुणों से भरपूर तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है। जो सेहत के लिए लाभदायक होता है। तिल और गुड़ को मिलाकर बनने वाले व्यंजन पौष्टिकता और अधिक ही बढ़ जाती है। सामान्य रूप में लोग इसे स्वाद के लिए प्रयोग करते हैं लेकिन यह औषधीय गुणों की खान हैं।
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गुड़ के औषधीय गुण
गुड़ को स्वाद और सेहत का खजाना के साथ सुपर फूड कहा जाता है। भूख खोलने वाला और गैस-एसिडिटी से छुटकारा दिलाते हुए पाचन शक्ति को बढ़ावा देने में मदद करता है। गुड़ में आयरन की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह रक्त में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने में सहायक है। इसमें पाये जाने वाले कैल्शियम और फास्फोरस हड्डियों को मजबूती प्रदान करते हैं। सर्दी-जुकाम, खांसी में गुड़ लाभकारी है तो सेवन से माइग्रेन में आराम मिलता है।
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तिल सेवन के लाभ
डाक्टर कमाल अहमद सिद्दीकी, वनस्पति विद्, पूर्व प्रवक्ता, काशी नरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ज्ञानपुर कहते हैं आयुर्वेद में तिल कफनाशक, पुष्टिवर्धक और तीव्र असरकारक औषधि के रूप में है। तिल स्वभाव से गर्म होता है इसलिए सर्दियों में विशेषत: मकर संक्रांति के अवसर पर तिल का पकवान-मिठाई के रूप में सेवन होता है। तिल में मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्राल को कम करने में सहायक है। तनाव या डिप्रेशन कम करने के लिए आवश्यक तत्व और विटामिन मिलते हैं। कैल्सियम की प्रचुर मात्रा होने के कारण यह दांत और हड्डी को मजबूती देता है। इसमें पाये जाने वाले आवश्यक तत्व हृदय की मांसपेशियों को सक्रिय करने में सहायक होते हैं। तिल में पाया जाने वाला डाइटरी प्रोटीन और अमीनो अम्ल मांशपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। तिल में पाया जाने वाला सैस्मिन नामक एंटीआक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं के वृद्धि को रोकता है। तिल का सेवन से मानसिक दुर्बलता कम होती है। तनाव और डिप्रेशन से मुक्ति मिलती है। तिल में वेट लास और मसल गेन के गुण समाहित होते हैं। कुछ विशिष्ट अमीनों अम्ल मूड बूस्टर के रुप में सहायक होते हैं। जिक, सेलेनियम, कापर, आयरन, विटामिन बी-6 और विटामिन-ई आदि की प्रचुर मात्रा पाये जाने के कारण यह इम्यूनिटी बढ़ाने और खून में श्वेत रक्त कणिकाओं को सक्रिय- विकसित करने में सहायक है।