कारनामों को लेकर सुíखयों में ज्ञानपुर तहसील
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जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : भ्रष्टाचार हो या फिर मुख्यमंत्री शीर्ष प्राथमिकता में शामिल आइजीआरएस पोर्टल पर मिले संदर्भ। अपने कारनामों को लेकर तहसील ज्ञानपुर इन दिनों सुíखयों में है। घूस लेने के मामले में जहां लिपिक जेल जा चुका है तो वहीं एंटी करप्शन की टीम के जुबान पर नाम आने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा सकी है। मुख्यमंत्री पोर्टल पर मिली शिकायतों की मनमानी का यह पहला वाकया नहीं है। अधिकारी शिकायतों के निस्तारण में मनमानी कर चुके हैं।
तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता नहीं लग पा रहा है। इसमें भी ज्ञानपुर तहसील का कारनामा तो अधिकारियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। लेखपाल लवकुश तिवारी की एक साल पुरानी रिपोर्ट कंप्यूटर आपरेटर ने सीएम के पोर्टल पर बिना देखे अपलोड कर दी। हद तो तब हो गई जब तहसीलदार ने उसी रिपोर्ट को आगे भी बढ़ा दिया। जिलाधिकारी ने लेखपाल पर कार्रवाई की है, तहसीलदार ज्ञानपुर से जवाब तलब भी किया है।
वैसे ज्ञानपुर तहसील में यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले भी तहसील दिवस में आए 300 मामलों को आइजीआरएस पोर्टल पर अपलोड ही नहीं किया जा सकता था। जनपद सूबे में फिसड्डी हो गया था आइजीआरएस पोर्टल पर मिली शिकायतों में लापरवाही का खामियाजा जिले को भुगतना पड़। अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र मिश्र का कहना है कि आइजीआरएस प्रकरणों को निस्तारित करने मे किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। शिकायतों का निस्तारण गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए।
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आइजीआरएस संदर्भों को निस्तारित करने का समय घटा
आइजीआरएस संदर्भों को निस्तारित करने के लिए सरकार ने समय सीमा घटा दिया है। अभी तक मामलों को निस्तारित करने का समय 15 दिन रखा गया था लेकिन सरकार ने इसे अब घटा का सात दिन कर दिया है। इसी तरह गुणवत्ता और माíकंग आदि में भी समय सीमा को कम कर अब 24 घंटे कर दिया गया जबकि इसका समय पहले 48 घंटे का था। समय सीमा कम होने पर अधिकारियों की नींद उड़ गई है।