बगैर गुरु के शिष्य का नहीं हो सकता कल्याण
गुरु की दया बगैर शिष्य का कल्याण नहीं हो सकता है। माया मन की डोर अपने हाथों में ले रखी है जिससे गुरु ही छुड़ा सकते हैं। सद्गुरु जिस जीव को पकड़ लेते हैं फिर उसे छोड़ते नही हैं।
जागरण संवाददाता, चौरी (भदोही) : गुरु की दया बगैर शिष्य का कल्याण नहीं हो सकता है। माया मन की डोर अपने हाथों में ले रखी है जिससे गुरु ही छुड़ा सकते हैं। सद्गुरु जिस जीव को पकड़ लेते हैं फिर उसे छोड़ते नही हैं। क्षेत्र के जमुआ, प्रेमराजपुर में बाबा जय गुरुदेव के अनुयायियों के सत्संग में शनिवार को उज्जैन से आये संत उमाकान्त जी महाराज ने यहा बातें कहीं। साथ ही जुटे श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
उन्होंने कहा कि मनुष्य के विचार खान-पान के अनुरूप ही बनते है। विचार सही रखने के लिये खान पान सही रखना होगा। इसलिये व्यक्ति को सदा शाकाहारी रहने के साथ नशामुक्त व सदाचारी रहना चाहिये। कहा कि दु:ख में तो प्रभु का सुमिरन सभी करते है लेकिन सुख में कोई नही करता है। अगर सुख में भी लोग प्रभु का सुमिरन करने लगें तो दु:ख कभी आएगा ही नहीं। कहा कलयुग में केवल शब्दरूपी नाम से ही भवसागर को पार किया जा सकता है। गुरु की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु केवल एक नाम नहीं होता है बल्कि एक शक्ति होता है। ओमप्रकाश मिश्र, जिलाजीत मिश्र, धर्मेन्द्र मिश्र, मुलायम यादव ने संत का स्वागत किया। उधर पंडाल में मौजूद हजारों भक्तजन जयकारा लगाते रहें।