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पटाखा निस्तारण को लेकर फिर सुर्खियों में गोपीगंज पुलिस

हाइवे पर स्थित आदर्श कोतवाली को मलाईदार की श्रेणी में रखा गया है। एक दशक से लगातार सुर्खियों से रहने के कारण कई स्टेशन अफसरों को शिकार बना चुका है तो जनपद के कप्तान और सह कप्तान को भी अपने आगोश में ले चुका है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 05:16 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 05:16 PM (IST)
पटाखा निस्तारण को लेकर फिर सुर्खियों में गोपीगंज पुलिस
पटाखा निस्तारण को लेकर फिर सुर्खियों में गोपीगंज पुलिस

जागरण संवाददाता गोपीगंज (भदोही) : हाइवे पर स्थित आदर्श कोतवाली को मलाईदार की श्रेणी में रखा गया है। एक दशक से लगातार सुर्खियों से रहने के कारण कई स्टेशन अफसरों को शिकार बना चुका है तो जनपद के कप्तान और सह कप्तान को भी अपने आगोश में ले चुका है। इन दिनों पटाखा निस्तारण को लेकर एक बार फिर मामला गरम होता दिख रहा है। ज्ञानपुर में बरामद पटाखा इतने दिन बाद भी नष्ट नहीं किया गया लेकिन गोपीगंज पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए बीस लाख का पटाखा पलक झपकते ही निस्तारित करा दिया।

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आदर्श कोतवाली दर्जा प्राप्त इस कोतवाली में ओहदा प्राप्त करने के लिए सबसे मजबूत सियासी पकड़ रखना होता है। स्थानीय लोगों से छनकर आए तथ्यों पर गौर किया जाए तो छापेमारी के समय से ही पुलिस ने खेल शुरू कर दिया था। जहां पर छापेमारी हुई थी वहां पर चार कमरों में पटाखा रखा गया था। एक कमरे की ओर देखा भी नहीं गया गया था। पुलिस ने उठाया तीन लोगों को था लेकिन प्राथमिकी दो के खिलाफ दर्ज की गई थी। गोपीगंज पुलिस का यह कारनामा पहली बार नहीं इसके पहले भी कई बार हो चुका है। चर्चित ओमसम प्रकरण में भी इसी तरह कीमती ओमसम को रात में ही निस्तारित कर दिया गया था। जांच में पाया गया कि ओमसम के स्थान पर जानवरों का मांस गड्ढे में डाल कर ढक दिया गया है। इस मामले में तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक सहित कई पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। स्थिति चाहे जो हो लेकिन जांच हुई तो दोषी लोगों पर किसी बड़ी कार्रवाई से इन्कार नहीं किया जा सकता है। अपर पुलिस अधीक्षक आर के वर्मा का कहना है कि जिस दिन छापेमारी की गई थी, उस दिन वह दूसरे मामले में व्यस्त थे। इसलिए मामले के विषय में अधिक जानकारी नहीं है।

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केस- एक

पुलिस लाइन में नीलामी के लिए अलग-अलग थानों से लाए गए वाहनों में जंग लग गया। यही नहीं रखे-रखे वाहनों के आस-पास झाड़ उग आए लेकिन पुलिस विभाग अभी तक फाइल में प्रक्रिया पूरी नहीं कर सकी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कि नीलामी प्रक्रिया से पुलिस को नहीं बल्कि सरकार को लाभ होगा। कहीं से भी उन्हें लाभ दिखाई देता हो यह प्रक्रिया पहले ही पूरी कर वाहन नीलाम हो चुके होते।

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केस- दो

अलग-अलग थानों में करोड़ों का अवैध शराब बरामद कर रखा गया है। सुरियावां, भदोही, ऊंज में तो पूरा मालखाना भरा हुआ है। पुलिस के लोग धीरे-धीरे शराब की पेटी खाली कर दे रहे हैं। पुलिस बरामद अवैध शराब को नष्ट करने की प्रक्रिया अभी तक नहीं शुरू की। इसके लिए कोर्ट में अर्जी भी नहीं दाखिल कि लेकिन पटाखा को निस्तारित करने के लिए आनन-फानन में अर्जी दाखिल कर रफा- दफा कर दिया गया। ऐसे में गोपीगंज पुलिस पर सवाल उठना लाजिमी है।


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