Move to Jagran APP

गेट पर लटका मिला ताला, साहब सहित अधीनस्थ नदारद,

घड़ी की सूई सुबह नौ बजकर पंद्रह मिनट पर जागरण टीम जब अधिशासी अभियंता जल निगम कार्यालय पड़ताल करने पहुंची तो कार्यालय के शटर पर ही ताला जड़ा मिला। साहब और अधीनस्थ कर्मियों की उपस्थित की बात करना ही बेमानी होगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 06:14 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 01:06 AM (IST)
गेट पर लटका मिला ताला, साहब सहित अधीनस्थ नदारद,
गेट पर लटका मिला ताला, साहब सहित अधीनस्थ नदारद,

जागरण संवाददाता ज्ञानपुर (भदोही) : घड़ी की सूई सुबह नौ बजकर पंद्रह मिनट पर जागरण टीम जब अधिशासी अभियंता जल निगम कार्यालय पड़ताल करने पहुंची तो कार्यालय के शटर पर ही ताला जड़ा मिला। साहब और अधीनस्थ कर्मियों की उपस्थित की बात करना ही बेमानी होगी।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सूबे की जिम्मेदारी मिलते ही लोक प्राधिकरणों के कार्य समय में चौंकाने वाला निर्णय लिया गया था। कार्यालयों में अधिकारियों की उपस्थिति के समय में एतिहासिक परिवर्तन कर सुबह दस बजे की बजाए नौ बजे से निर्धारित कर दिया गया था। साथ ही जन समस्याओं के समाधान के लिए जनता दर्शन का समय सुबह नौ से ग्यारह बजे निर्धारित किया गया है।

लेकिन जिले की जनता को अमृत रुपी पेयजल उपलब्ध कराने का जिम्मा संभाले अधिशासी अभियंता जल निगम कार्यालय में फरमान बेअसर ही साबित दिख रहा है। बुधवार को कार्यालय में जब जागरण टीम ने सीएम के फरमान के अमल की सच्चाई परखने सुबह सवा नौ बजे पहुंची तो एक्सईएन जल निगम कार्यालय के मेन शटर में ताला लटकता मिला। जब कार्यालय के मुख्य द्वार के शटर मे ही ताला जकड़ा मिला तो उपस्थिति की बारे में जिक्र करना ही औचित्यहीन होगा। मतलब साफ है कि निर्धारित समय पर कार्यालय में अधिशासी अभियंता नदारद मिले तो अधीनस्थ अन्य विभागीय अधिकारी व कर्मचारी की भी दूर-दूर तक झलक नहीं दिख रही थी।

अब सवाल यह उठता है कि जब सीएम के फरमान का असर अधिकारियों पर असरकारी नहीं हो रहा है तो आम जनता की समस्या के निस्तारण में कितनी संजीदगी बरती जाती होगी सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जल निगम की उदाशीनता से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल समूहों से आपूर्ति समेत अन्य समस्याओं को लेकर कार्यालय में पहुंचने वाले फरियादियों को निराशा ही हाथ लगती है। जब विभागीय अधिकारी ही समय के प्रति बेपरवाह हैं तो अधीनस्थ से दायित्वों के प्रति वफादारी की उम्मीद ही नहीं की जा सकती।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.