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गंगा की उफान से सहम उठे हैं लोग

पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और जगह-जगह स्थित डैम से पानी छोड़े जाने के बाद गुरुवार को गंगा लाल निशान की करीब पहुंच गई हैं। जल स्तर में वृद्धि को देखते हुए तटवासी सामान समेटने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 12:02 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 12:02 AM (IST)
गंगा की उफान से सहम उठे हैं लोग
गंगा की उफान से सहम उठे हैं लोग

जागरण संवाददाता, सीतामढ़ी (भदोही) : पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश और जगह-जगह स्थित डैम से पानी छोड़े जाने के बाद गुरुवार को गंगा लाल निशान की करीब पहुंच गई हैं। जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए तटवासी सामान समेटने लगे हैं। फसल चौपट होने से मवेशियों के चारा का संकट गहराता जा रहा है। पानी लोगों के घरों में घुसने लगा है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। दो सेमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ रहे जल स्तर से करार धड़ाम-धड़ाम गिर रहे हैं।

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केंद्रीय जल आयोग की रीडिग के अनुसार गुरुवार को शाम चार बजे तक 79.900 मीटर तक जलस्तर पहुंच चुका था। आंकड़ों के अनुसार 2013 में अधिकतम जलस्तर 81.200 मीटर पर था। गुरुवार की सुबह जलस्तर कुछ सुस्त था लेकिन दोपहर दो बजे के बाद दो सेमी प्रतिघंटा की रफ्तार से जलस्तर बढ़ने लगा। सीतामढ़ी में बने बांध से पार कर पानी रिहायशी मकानों तक पहुंचने लगा है। तलवा डीघ से लेकर मवैया तक बाजरा, अरहर, उड़द की फसल पानी में डूब जाने से किसानों के सामने पशुओं के चारे के साथ खाद्यान्न की समस्या उत्पन्न हो गई है। डीघ के ललित नारायण तिवारी का दे बीघा फसल डूबकर नष्ट हो गया है। इसी तरह गोविद यादव, श्रवण मिश्रा, राजेंद्र मिश्रा आदि ने खाद्यान्न एवं पशुओं को चारा आदि उपलब्ध कराने की मांग की है। आरोप लगाया कि तटवर्ती क्षेत्र किसान पूरी तरह बर्बाद हो गए लेकिन प्रशासन के लोग झांकने तक नहीं आया है।


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