रूठा मौसम, खेतों में फटी दरार, किसान चितित
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान बढ़वार पर है। इसके साथ ही जगह-जगह अगेती रोपी गई फसल में बालियां निकलना भी शुरू हो चुकी हैं। ऐसे समय में रूठे मौसम के साथ किनारा कर चुके बादलों के बीच तेज धूप व गर्मी से ने किसानों की चिता बढ़ा दी है। बारिश न होने से खेतों में दरारें फटने लगी हैं तो फसल सूखने की कगार पर पहुंचने लगी है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान बढ़वार पर है। इसके साथ ही जगह-जगह अगेती रोपी गई फसल में बालियां निकलना भी शुरू हो चुकी हैं। ऐसे समय में रूठे मौसम के साथ किनारा कर चुके बादलों के बीच तेज धूप व गर्मी से ने किसानों की चिता बढ़ा दी है। बारिश न होने से खेतों में दरारें फटने लगी हैं तो फसल सूखने की कगार पर पहुंचने लगी है।
मौजूदा समय में बालियां लेती धान फसल के लिए पानी की अत्यंत आवश्यकता है। साथ ही किसानों का मानना है कि जब मौसम नम रहेगा तो बढ़वार अच्छी होगी। जबकि इस समय मौसम किसानों के बेहद विपरीत है। ऐसे में फसल की देखभाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। कारण है कि फसल के लिए अति संवेदनशील माने जाने वाले इस अवस्था में कीट रोगों का खतरा बढ़ जाता है। जरा सी असावधानी से तना छेदक व गंधी कीट फसलों को नुकसान पहुंचा देगीं।
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सुरक्षा को लेकर क्या करें किसान
- कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी चौधरी ने बताया कि तनाछेदक कीट पौधों में छेद कर देते हैं। इससे एक ओर जहां पौध सूखने लगते हैं वहीं सफेद रंग का बालियां निकलने लगती हैं। जिसमें दाना नहीं पड़ पाता है। इस कीट से बचाव के लिए नमी वाले खेतों में कोर्बोफ्यूरान थ्री जी दवा पांच किलो प्रति बीघा की दर से छिड़काव किया जा सकता है। जिन खेतों में नमी नहीं है वहां क्लोरपायरीफास दवा का छिड़काव कर तना छेदक कीट से छुटकारा पाया जा सकता है। बताया कि चार बीघे में डेढ़ लीटर दवा को पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाना पर्याप्त होगा। बताया कि इसी तरह गंधी कीट बालियों में लगकर दाने का रस चूस जाती हैं। इससे पैदावार प्रभावित हो जाती है। इनसे बचाव के लिए किसान प्रति बीघे के लिए 20 किलो राख में आधा लीटर मिट्टी का तेल रात में मिलाकर रख दें। सुबह ही छिड़काव करने से गंधी कीट से छुटकारा मिलेगा। किसान मैलाथियान दवा पांच किलो प्रति बीघा की दर से भी छिड़काव कर सकते हैं।