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..तो छलावा जैसे नजर आते हैं अग्निशमन यंत्र

कालीन कंपनियां हो या फिर अस्पताल व होटल से लेकर अन्य बहुमंजिली इमारतें। विद्युत शार्ट सर्किट सहित अन्य कारणों से अगलगी की घटनाएं आम बात हैं। बावजूद इसके अगलगी की घटनाओं पर त्वरित काबू करने के लिए दी जाने वाली फायर एक्स¨टग्यूशर, होजरील व फायर हाईड्रेंट आदि लगाए जाने व फायर एक्स¨टग्यूशर के रिफि¨लग के प्रति लोग उदासीन बने रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 09:06 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:22 PM (IST)
..तो छलावा जैसे नजर आते हैं अग्निशमन यंत्र
..तो छलावा जैसे नजर आते हैं अग्निशमन यंत्र

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : कालीन कंपनियां हो या फिर अस्पताल व होटल से लेकर अन्य बहुमंजिली इमारतें। विद्युत शार्ट सर्किट सहित अन्य कारणों से अगलगी की घटनाएं आम बात हैं। बावजूद इसके अगलगी की घटनाओं पर त्वरित काबू करने के लिए दी जाने वाली फायर एक्स¨टग्यूशर, होजरील व फायर हाईड्रेंट आदि लगाए जाने व फायर एक्स¨टग्यूशर के रिफि¨लग के प्रति लोग उदासीन बने रहते हैं। परिणामस्वरूप जब अगलगी की घटना होती है तो कुछ ही देर में सब कुछ स्वाहा हो जाता है। यह तमाम यंत्र महज उस वक्त महज छलावा बने नजर आते हैं।

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जिले में विशेषकर कालीन उद्योग से अस्पताल व शिक्षण संस्थानों में अगलगी की घटनाओं के दौरान त्वरित काबू करने को लेकर फायर एक्स¨टग्यूशर तो कहीं-कहीं दीवारों पर टंगे तो अवश्य दिखाई पड़ते हैं लेकिन रिफि¨लग कब हुई इसका कोई अता-पता नहीं रहता। यह सच्चाई तब सामने आती है जब कहीं अग्निकांड की घटनाएं हो जाती हैं। आग बुझाना में सहयोग तो दूर यह अग्निशमन यंत्र खुद ही आग की भेंट चढ़ जाते हैं। हालांकि अगलगी की घटनाओं की ²ष्टि से कालीन उद्योग को बेहद संवेदनशील माना जाता है। कालीनों के कार्य मे उपयुक्त होने वाले रा मैटेरियल में आग जल्दी पकड़ता है तथा देखते ही देखते सब कुछ राख में बदल जाता है। यही कारण है कि जागरूक कालीन व्यवसायियों द्वारा अपनी कंपनियों में अग्नि सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए जाते हैं। हालांकि छोटे व मझले व्यवसायी इस मामले में लापरवाही बरतते हैं।

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अस्पतालों में बरती जाती है उदासीनता

- अग्निशमन सुरक्षा को लेकर अस्पताल व स्कूल भवनों में तो पूरी तरह से अनदेखी किया जाता है। अस्पताल व नामचीन स्कूलों में अग्निशमन यंत्र तो लगे दिखाई पड़ते हैं लेकिन नियमित रिफि¨लग के प्रति कोई सक्रियता नहीं दिखाई जाती। अग्निशमन अधिकारी अनिल कुमार सरोज ने भी इसे स्वीकार करते हुए कहा कि अस्पतालों को बार-बार नोटिस भेजी जाती है लेकिन अधिकतर संचालकों की ओर से रिफि¨लग नहीं कराया जाता। कमोवेश यही स्थिति स्कूलों में भी रहती है। निजी भवनों में तो अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था क्या बला है शायद की कोई कभी ध्यान दे रहा हो।

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विकास भवन में लगा हाईड्रेंट शोपीस

- निजी भवन, कालीन कंपनी, अस्पताल व स्कूल तो दूर जिले की विकास का जिम्मा संभाले विकास भवन परिसर तक में अग्निशमन सुरक्षा उपायों की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। स्थिति यह है कि विकास भवन में स्थापना के दौरान ही आगलगी की किसी घटना पर त्वरित काबू पाने के लिए फायर हाईड्रेंट तो लगा दिये गए हैं लेकिन आज तक उसमें कहीं से पानी का कनेक्शन हीं नहीं किया जा सका है। लिहाजा व महज शोपीस ही बना नजर आता है।

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जल्द ही किया जाएगा निरीक्षण

- विभाग द्वारा कालीन कंपनियों का सर्वे किया जाता है। उनको अग्नि सुरक्षा के प्रति सचेत किया जाता है। कैसे आग से बचाव करें इसके बारे में बाकायदा प्रशिक्षित किया जाता है। जो लोग लापरवाही बरतते हैं उन्हें नोटिस भी जारी की जाती है। बड़ी कंपनियों वाले अग्नि सुरक्षा के प्रति सचेत हैं पर छोटे व मझोले व्यवसायी लापरवाही बरतते हैं। सभी कालीन व्यवसायियों को सचेत किया गया था। दर्जनों कालीन व्यवसायियों सहित अस्पताल संचालकों को नोटिस भी दी गई है। जल्द ही विभाग की ओर से अभियान चलाक जांच की जाएगी।

- अनिल कुमार सरोज, जिला अग्निशमन अधिकारी


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