ठेकेदारों के दबाव में हटाए गए ईओ
भ्रष्टाचार की जड़े इतने नीचे तक पहुंच चुकी हैं कि उसे मिटाना मुश्किल होता दिख रहा है। आलम यह है कि शासन की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल पं. दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर योजना में विकास को मिले करोड़ों रुपये में धांधली की पोल खुलते देख ठेकेदारों ने अधिशासी अधिकारी को ही बदलवा दिया। विशेष सचिव संजय कुमार सिंह यादव ने 16 जून को ज्ञानपुर के अधिशासी अधिकारी राजेंद्र कुमार दुबे को नई बाजार का चार्ज सौंपा था। शासन के निर्देश के क्रम में वह कार्यभार ग्रहण भी कर लिया।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : भ्रष्टाचार की जड़े इतने नीचे तक पहुंच चुकी हैं कि उसे मिटाना मुश्किल होता दिख रहा है। शासन की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल पं. दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर योजना में विकास को मिले करोड़ों रुपये में धांधली की पोल खुलते देख ठेकेदारों ने अधिशासी अधिकारी को ही बदलवा दिया। विशेष सचिव संजय कुमार सिंह यादव ने 16 जून को ज्ञानपुर के अधिशासी अधिकारी राजेंद्र कुमार दुबे को नई बाजार का चार्ज सौंपा था।
शासन के निर्देश के क्रम में वह कार्यभार ग्रहण भी कर लिया। जिम्मेदारी मिलते ही जब वह एलईडी लाइट का स्टाक रजिस्टर चेक किया तो पता चला कि 50 एलईडी लाइट की आपूर्ति नहीं की गई है। इस पर लिपिक और ठेकेदार की जमकर क्लास लगाई थी। उनके ज्वाइनिग के बाद पीडीडीयू आदर्श नगर योजना में की गई धांधली की पोल खुलते देख ठेकेदार और तत्कालीन अधिशासी अधिकारियों में खलबली मच गई। इसी बीच अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार मिश्र ने धांधली की फाइल भी तलब कर लिया था। मामला बिगड़ते देख ठेकेदारों ने अधिशासी अधिकारी को ही बदलवा दिया। फिर अपने खास अधिशासी अधिकारी को तैनात कराने में सफल रहे। विशेष सचिव संजय कुमार सिंह यादव ने नगर पंचायत नई बाजार का चार्ज विजय कुमार यादव के दे दिया। एडीएम शैलेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि मामले की जांच उप जिलाधिकारी को सौंपी गई है। धांधली करने वाले किसी भी दशा में नहीं बचेंगे।
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यह है पूरा मामला : पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर योजना के तहत ज्ञानपुर और नई बाजार का चयन किया गया था। नगरीय विकास के लिए अलग से तीन-तीन करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था। योजना में नई बाजार को पूरा का बजट जारी कर दिया गया है। तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने शासनादेश जारी कर कहा था कि यह योजना शासन की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल है इसलिए गुणवत्ता की जांच के अलग से टीम बनाई जाए। डीएम राजेंद्र प्रसाद ने अलग से टीम भी बनाई थी लेकिन अधिशासी अधिकारियों और अभियंताओं के तालमेल से डीएम की गठित टीम के स्वीकृति बगैर ही 2.50 करोड़ रुपये का भुगतान करा दिया गया है। इस मामले में पूर्व के तीन अधिशासी अधिकारियों की गर्दन फंसी हुई है।
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चार्ज सौंपने की गाइडलाइन
किसी भी नगर पंचायत अथवा पालिका का चार्ज सौंपने के लिए शासन की ओर से गाइडलाइन जारी किया गया है। डीएम की ओर से संस्तुति शासन को भेजी जाती है। इसके पश्चात अधिशासी अधिकारी को चार्ज दिया जाता है। कुछ दिन पहले ज्ञानपुर के ईओ को चार्ज देने की संस्तुति और 20 दिन भी नहीं गुजरे फिर खमरिया के ईओ को चार्ज देने की संस्तुति किसी के गले नहीं उतर रहा है।
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अधिशासी अधिकारी को बदलने के लिए हमारे ओर से संस्तुति पत्र भेजा गया था कि नहीं, याद नहीं आ रहा है लेकिन इतने जल्दी कैसे अधिकारी बदल दिए गए। मामले की जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी।
- राजेंद्र प्रसाद, जिलाधिकारी