बालियां लेती धान पर मंडराया खतरा, बरतें सावधानी
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान तैयारी की ओर बढ़ रही है। फसल में बालियां निकलने लगी हैं। बालियां लेती धान फसल की देखभाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान तैयारी की ओर बढ़ रही है। फसल में बालियां निकलने लगी हैं। बालियां लेती धान फसल की देखभाल में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है। कारण है कि फसल के लिए अति संवेदनशील माने जाने वाले इस अवस्था में कीट रोगों का खतरा बढ़ जाता है। जरा सी असावधानी से तना छेदक व गंधी कीट फसलों को नुकसान पहुंचा देगी। ऐसे में किसानों की सारी मेहनत अंतिम दौर में पानी फिर सकता है।
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क्या आएगी समस्या
-कृषि विज्ञान केंद्र बेजवां के कृषि वैज्ञानिक डा. आरपी चौधरी ने बताया कि फसल में लगने वाले तनाछेदक कीट पौधों में छेद कर देते हैं। इससे एक ओर जहां पौध सूखने लगते हैं वहीं सफेद रंग का बालियां निकलने लगती हैं। जिसमें दाना नहीं पड़ पाता है। इसी तरह गंधी कीट बालियों में लगकर दाने का रस चूस जाती हैं। इससे पैदावार प्रभावित हो जाती है।
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क्या करें बचाव
तनाछेदक कीट से बचाव के लिए नमी वाले खेतों में कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4जी दवा 25 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जा सकता है। जिन खेतों में नमी नहीं है वहां क्लोरपायरीफास दवा का छिड़काव कर तना छेदक कीट से छुटकारा पाया जा सकता है। बताया कि चार बीघे में डेढ़ लीटर दवा को पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाना पर्याप्त होगा। इसी तरह किसान प्रति बीघे के लिए 20 किलो राख में आधा लीटर मिट्टी का तेल रात में मिलाकर रख दें। सुबह ही छिड़काव करने से गंधी कीट से छुटकारा मिलेगा। किसान मैलाथियान दवा पांच किलो प्रति बीघा की दर से अथवा इम्डाक्लोपिड दवा एक मिलीलीटर दो लीटर पानी की दर से घोल तैयार करके भी छिड़काव कर सकते हैं।