सीएम का आया नया फरमान, अफसरों को मिला अभयदान
सुबह 9.30 से 11 बजे तक अफसर जनता दर्शन में बैठेंगे। इसके पश्चात वह विकास कार्यों की हकीकत देंखेगे। साथ ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराने के लिए क्षेत्र में भ्रमण करेंगे।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर(भदोही): सुबह 9.30 से 11 बजे तक अफसर जनता दर्शन में बैठेंगे। इसके पश्चात वह विकास कार्यों की हकीकत देखेंगे। साथ ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराने के लिए क्षेत्र में भ्रमण करेंगे। निर्धारित प्रोफार्मा पर निरीक्षण की रिपोर्ट तैयार करेंगे। इसकी अलग से मीटिग की जाएगी। यह फरमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अफसरों को मिलते ही मानो अभयदान मिल गया। 11 बजते ही विकास भवन से लेकर ब्लाक और अन्य विभागों में सन्नाटा पसर जाता है। हर अफसर भ्रमण के लिए निकल जाते हैं। हकीकत ठीक इसके विपरीत देखी जा रही है। गांवों बजबजाती नाली तो अधूरे आवास, शौचालय अधिकारियों को मुंह चिढ़ा रहे हैं। निरीक्षण करने के बाद जांच के नाम पर खेल किया जा रहा है। अधिकारियों की खूब चांदी कट रही है।
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सुविधा को देखते हुए करा ली तैनाती
विकास भवन के एक अधिकारी ने जनपद सीमा पर अपनी ड्यूटी ही लगवा ली। वह तो सब कुछ काम छोड़कर इन दिनों वहीं पर मोर्चा संभाले हुए हैं। यहीं नहीं खुद की ड्यूटी तो लगवाई ही है, अपनी सुविधा के अनुसार एक बाबू को भी तैनात करा दिया है। जब घर निकलना होता है तो वह अपनी ड्यूटी करने जिले की सीमा पर स्थित कार्यालय पर पहुंच जाते हैं। इन दिनों वह कार्यालय सियासी सुर्खियों में है।
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कार्यभार ग्रहण करते ही गांव को ही बनाया ठिकाना
जनपद के एक अधिकारी तो कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही गांव को ही अपना ठिकाना बना लिए हैं। वह सुबह से लेकर शाम तक या तो गोशाला में दिखते हैं या फिर गांव के वनवासी बस्ती में। महज आवश्यक दिशा निर्देश और जांच की खानापूर्ती। अभी तक उनके निगाह में न तो कहीं पर गड़बड़ी मिली और न आवास अधूरे। हकीकत यह है कि जन गांवों में वह निरीक्षण कर चुके हैं उन गांवों में शौचालय पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं तो आवासों का प्लास्टर तक नहीं हो सका है। लाभार्थियों को लाभपरक योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल रहा है।
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जिले के सबसे बड़े साहब तो बिल्कुल निराले हैं
जनपद के सबसे बड़े साहब तो बिल्कुल निराला हैं। इसी का तो परिणाम हैं कि अब तक के सभी अधिकारियों के रिकार्ड तोड़ कर जनपद की कमान संभाले हुए हैं। वह तो काम हो अथवा न हो लेकिन कार्रवाई में विश्वास नहीं करते हैं। निरीक्षण और भ्रमण रोज करते हैं। आख्या भी तैयार करवाते हैं लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता है। परिसर में ही भवन का निर्माण शुरू हो गया लेकिन उन्हें भनक तक नहीं लगी। तत्काल एक्शन में तो आते हैं लेकिन कुछ देर बाद फिर स्थिर हो जाते हैं।
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निरीक्षण से लाल हो जा रहे गुरु जी के साहब
गुरु जी के साहब तो निरीक्षण के नाम पर लाल हो जा रहे हैं। एक बार उनकी गाड़ी यदि क्षेत्र में निकली तो सैकड़ों ढेर हो जाते हैं। वेतन रोकने, काटने आदि-आदि की कार्रवाई कर देते हैं। इसके पश्चात फिर शुरू हो जाता है समझौता का खेल। एक साहब तो उनके साथ जाना भी छोड़ दिया। उनका साफ कहना था कि भइया निरीक्षण किया तो कार्रवाई करेंगे। समझौता उनके वसूल में नहीं है।