छायी बदली तो खेत बनेंगे आलू के कब्रिृस्तान
बादलयुक्त मौसम व कोहरे के साथ पड़ रही गलन से आलू फसल पर खतरा बढ़ गया है। सावधानी नहीं बरती गई तो फसल झुलसा रोग के जद में आएगी। इससे फसल बर्बाद व उत्पादन प्रभावित होगा। ऐसे में किसानों को फसल की देख-रेख में सावधानी बरतते हुए बचाव के लिए दवाओं का सुरक्षात्मक छिड़काव करना होगा।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बादलयुक्त मौसम व कोहरे के साथ पड़ रही गलन से आलू फसल पर खतरा बढ़ गया है। सावधानी नहीं बरती गई तो फसल झुलसा रोग के जद में आएगी। इससे फसल बर्बाद व उत्पादन प्रभावित होगा। ऐसे में किसानों को फसल की देख-रेख में सावधानी बरतते हुए बचाव के लिए दवाओं का सुरक्षात्मक छिड़काव करना होगा। जिला उद्यान अधिकारी सुनील कुमार तिवारी ने बताया कि बदलीयुक्त मौसम, बूंदा बांदी व नम मौसम में झुलसा रोग अत्यंत तेजी के साथ फैलता है। अगर यह स्थिति लंबे समय तक रही तो खेत आलू के कब्रिस्तान जैसे दिखने लगेंगे।
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क्या है लक्षण
- आलू की अगेती फसल में पत्तियां बीच से और पिछेती फसल में पत्तियां एक सिरे से झुलसना शुरू होती है। पत्तियों पर भूरे-काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं। प्रकोप इतनी तेजी से फैलता है कि दो-चार दिन में पूरी फसल प्रभावित हो जाती है।
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क्या करें बचाव
- झुलसा रोग से बचाव के लिए किसानों को चाहिए कि जिक मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 किलो दवा अथवा मैंकोजेब दवा दो से ढाई किलो दवा को 800 से 1000 लीटर पानी में घोल तैयार कर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। जरूरत के अनुरूप 10 से 15 दिन के अंतराल पर दूसरा छिड़काव किया जा सकता है। इसके साथ ही फसल को बचाए रखने के लिए खेत में नमी बनाए रखना भी आवश्यक है।