कोहरे में जानलेवा साबित होती है ओवरलो¨डग
सड़क सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग के तमाम दावे के बाद भी वाहन चालकों पर लगाम लगता नहीं दिख रहा है। ट्रक ट्रेलर और ट्रैक्टर ट्राली में किसी भी सामान की ढुलाई के समय बाहर निकलने पर सख्त कार्रवाई का विधान है। लेकिन हाइवे समेत अन्य सड़कों पर बड़े-छोटे सभी वाहनों पर सरिया आदि ट्राली से बाहर लादकर धड़ल्ले से की जा रही है। जिससे घने कोहरे और रात के अंधेरे में सड़क पर आवागमन में लोगों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। वहीं केवल कृषि कार्य के लिए पंजीकृत ट्रैक्टर ट्राली में ऐसे खतरनाक सामनों से ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहन कोहरे के धुंध और रात के अंधेरे में आए दिन दुर्घटनाएं होने पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सड़क सुरक्षा को लेकर परिवहन विभाग के तमाम दावे के बाद भी वाहन चालकों पर लगाम लगता नहीं दिख रहा है। ट्रक ट्रेलर और ट्रैक्टर ट्राली में किसी भी सामान की ढुलाई के समय बाहर निकलने पर सख्त कार्रवाई का विधान है। लेकिन हाइवे समेत अन्य सड़कों पर बड़े-छोटे सभी वाहनों पर सरिया आदि ट्राली से बाहर लादकर धड़ल्ले से चल रहे हैं। कोहरे और रात के अंधेरे में सड़क पर आवागमन में लोगों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। वहीं केवल कृषि कार्य के लिए पंजीकृत ट्रैक्टर ट्राली में ऐसी खतरनाक ओवरलो¨डग से ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहन कोहरे के धुंध और रात के अंधेरे में आए दिन दुर्घटनाएं होने पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा है।
शासन के निर्देश पर ठंड के दस्तक देते ही कोहरे में सुरक्षित वाहन चलाने और सड़क सुरक्षा को लेकर अभियान चलाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। लेकिन विभाग की ओर से सड़क सुरक्षा से जुड़े तमाम अभियान महज कागजों तक ही सिमट जा रहे हैं। आलम यह है कि खतरनाक सामान लादकर ढ़ुलाई कर रहे वाहनों पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा है। वहीं अप्रशिक्षित वाहन चालकों पर लगाम न लग पाने से लोग हादसों का शिकार हो रहे हैं। कोहरे की धुंध में सड़कों पर आवागमन के समय थोड़ी सी चूक जान पर भारी पड़ सकती है। जिससे आए दिन दुर्घटनाओं का शिकार होकर गंभीर रूप से घायल होने के साथ ही कई लोगों की जान भी चली जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रैक्टर ट्राली का रजिस्ट्रेशन भले ही कृषि कार्य के लिए होता हो लेकिन सड़कों पर ट्रैक्टर ट्राली पर बारात में लगने वाले टेंट-कुर्सी हो या फिर ईंट-बालू व मिट्टी ढुलाई का कार्य, लकड़ी हो या फिर बोल्डर लेकर सड़कों पर फर्राटा भरते ट्रैक्टर, यह सब कृषि कार्य है साहब। जी हां यह महज कहानी नहीं है बल्कि इसे साबित कर रहे हैं सड़कों पर इन सब सामानों को लेकर बेधड़क फर्राटा भरते ट्रैक्टर।
दरअसल, ट्रैक्टरों को कृषि कार्य के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाता है जिसके बाबत रजिस्ट्रेशन के समय अन्य वाहनों की अपेक्षा टैक्स आदि कृषि उपयोग के नाम पर कम लगता है। व्यवसायिक उपयोग में लगने वाले ट्रैक्टरों को रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। बावजूद इसके भले ही उप संभागीय परिवहन कार्यालय में व्यवसायिक रूप से नाम मात्र के ट्रैक्टर रजिस्टर्ड हो लेकिन सड़क पर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टर ईंट, बालू आदि लेकर फर्राटा भरते दिख रहे हैं। सबसे अहम यह है कि सड़कों पर दौड़ते ट्रैक्टर, आटोरिक्शा की स्टेय¨रग अधिकतर कम उम्र किशोरों के हाथ में दिखती है। जिनके पास न तो व्यवसायिक वाहन चलाने का लाइसेंस होता है न ही यातायात नियमों की जानकारी व अनुभव। इसके बाद भी किसी की नजर इस ओर नहीं पड़ रही है। जबकि सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं में अप्रशिक्षित चालकों द्वारा दौड़ाए जा रहे वाहनों की बहुत बड़ी भूमिका से इंकार नहीं किया जा सकता।
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बेतरतीब वाहन पार्किंग से रहें सतर्क
अमूमन देखा जाता है कि सड़कों पर समुचित जगह न होने के बावजूद वाहन पार्किंग कर दिया जाता है। जिससे घने कोहरे और रात के अंधेरे में दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में सड़कों पर यातायात के समय विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है। सतर्कता न बरती गई तो ऐसे वाहनों में पीछे से टकराने से जान भी जा सकती है। ऐसा नहीं है इन बेतरतीब पार्किंग पर अधिकारियों की नजर न पड़ती हो लेकिन सख्ती से कार्रवाई न होने से चालकों की लापरवाही पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा है।