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तिलहन की खेती को बनाया व्यवसाय

जागरण संवाददाता, मोढ़ (भदोही) : प्राकृतिक आपदा, सरकारों की उपेक्षा सहित विभिन्न झंझावातो

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Jan 2018 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jan 2018 07:59 PM (IST)
तिलहन की खेती को बनाया व्यवसाय
तिलहन की खेती को बनाया व्यवसाय

जागरण संवाददाता, मोढ़ (भदोही) : प्राकृतिक आपदा, सरकारों की उपेक्षा सहित विभिन्न झंझावातों के चलते अधिकतर किसानों का कृषि कार्य मोह भंग हो रहा है। यही कारण है कि लोग दूसरे व्यवसाय अथवा नौकरी आदि करके गुजारा करने को प्रमुखता देने लगे हैं। हालांकि अब भी कुछ किसान ऐसे हैं जिनका पंरपरागत खेती किसानी पर अब भी विश्वास कायम है।

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बुद्धि विवेक तथा परिश्रम के बल पर न सिर्फ आजीविका के संसाधन उपलब्ध कर रहे हैं बल्कि उत्पादों को बेचकर धन भी कमा रहे हैं। ऐसे ही आधुनिक किसानों में शामिल हैं क्षेत्र के रमयनपुर गांव निवासी मुकेश मिश्रा।

परिवार में दशकों से चली आ रही खेती किसानी परंपरा को न सिर्फ आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि जैविक खेती के माध्यम से बेहतर उत्पादन कर कृषि कार्य को व्यवसाय के रूप में परिर्वितत कर रहे हैं। इसके लिए भले की उन्हें तमाम तरह की दुश्वारियों का सामना करना पड़े लेकिन वे कृषि कार्य को ही अपना व्यवसाय समझते हैं। मुकेश को खेतों से बेहद लगाव है। यही कारण है कि पारिवारिक परंपरा के निर्वाहन में जी जान से जुटे हैं। लगभग 20 बीघा भूमि को उपजाऊ रूप देने के लिए उन्होंने न सिर्फ जैविक खादों का सहारा लिया बल्कि कठिन परिश्रम भी किया।

तिलहन की प्रमुख रूप से खेती करते हैं लेकिन साथ गेहूं व धान का उत्पादन भी करते हैं। कुछ अलग हटकर करने की ललक के चलते सरसों की खेती को अधिक तरजीह देते हैं। इसमें उन्हें बेहतर मुनाफा भी मिल रहा है। बताते हैं कि अगर मन से सरसों की खेती करें तो यह फायदेमंद हो सकता है तथा इससे भूमि भी उपजाऊ होती है। 20 बीघा जमीन पर खेती करने वाले मुकेश का कहना है कि खुद का पं¨पग मशीन होने से पैदावार बढ़ाने में मद्त मिलती है।

यही कारण है कि घर परिवार में उपयोग के बाद भी अन्न को बेचकर प्रतिवर्ष लाखों रुपये की कमाई करते हैं। किसान मुकेश का कहना है कि जिनके पास पर्याप्त भूमि है अथवा कृषि कार्य के प्रति लगन उनके लिए इससे बेहतर दूसरा व्यवसाय हो ही नहीं सकता। बताया कि उनका पूरा परिवार कृषि कार्य से जुड़ा है तथा स्वास्थ्य व आíथक ²ष्टि से वे सुखी व सम्पन्न हैं। कहा कि कृषि कार्य में दूसरों पर निर्भर नही रहा जा सकता। ¨सचाई, खाद, बीज, जोताई आदि के लिए शासन प्रशासन की ओर देखने वाले कभी लाभ कमा नहीं सकते। कहा कि इसके लिए स्वयं की व्यवस्था होनी चाहिए।


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