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एआरटीओ में कर्मियों से भिड़े दलाल, पुलिस ने दो को दबोचा

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में मंगलवार को दलाल और एक कर्मचारी भिड़ गए। शोरगुल सुनकर पहुंचे एआरटीओ अरुण कुमार से भी दलाल हाथापाई करने पर अमादा हो गए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 05:52 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 05:52 PM (IST)
एआरटीओ में कर्मियों से भिड़े दलाल, पुलिस ने दो को दबोचा
एआरटीओ में कर्मियों से भिड़े दलाल, पुलिस ने दो को दबोचा

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में मंगलवार को दलाल और एक कर्मचारी भिड़ गए। शोरगुल सुनकर पहुंचे एआरटीओ अरुण कुमार से भी दलाल हाथापाई करने पर अमादा हो गए। मौके की नजाकत भांपते हुए पुलिस बुला ली गई। कोतवाली पुलिस को देखते ही दलाल बाउंड्रीवाल फांदकर फरार हो गए जबकि दो को दबोच लिया गया। पुलिस सीसीटीवी फुटेज देखकर दलालों की पहचान करने में जुटी हुई है।

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परिवहन अधिकारी का दफ्तर दलालों को लेकर हर समय सुर्खियों में रहा है। दलाल दुस्साहसिक तरीके से अधिकारियों एवं कर्मियों पर दबाव बनाकर लाइसेंस आदि कार्य करवाते हैं। मंगलवार को भी लाइसेंस कक्ष में तैनात एक कर्मचारी से दलाल के बीच कहासुनी हो रही थी। जब तक लोग समझ पाते कि एकजुट होकर दलाल कर्मचारी से भिड़ गए। किसी ने इसकी जानकारी एआरटीओ को दे दिया। लाइसेंस कक्ष में पहुंचते ही दलाल एआरटीओ से भी भिड़ गए। कर्मियों ने बताया कि एक स्थानीय दलाल तो जबरिया उनसे वसूली भी करता है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि दफ्तर में दलालों और कर्मचारी के बीच कहासुनी हुई थी। कोतवाली पुलिस ने दो दलालों को कोतवाली भी ले गई है। सीसीटीवी फुटेज से दलालों की पहचान कर पुलिस कार्रवाई कर रही है।

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दलाल और आउटसाइडरों पर नहीं लग रहा अंकुश

सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी के दफ्तर में दलालों और आउटसाइडरों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। इसको लेकर जितना दोषी दलाल हैं उससे कहीं अधिक दोषी विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हैं। पहले तो उन्हें पूरी छूट दे देते हैं जब वह उनका पूरा अड्डा देख लेते हैं तो मारपीट करने पर अमादा हो जाते हैं। यह पहला वाकया नहीं है, इसके पहले भी कई बार कर्मचारियों की पिटाई कर चुके हैं। कुछ दिन सख्ती रहता है उसके बाद फिर स्थिति जस का तस हो जाता है। एक आउटसाइडर तो इस तरह से जाल फैला दिया है कि उसे विभाग के लोगों को छोड़ना मुश्किल हो गया है। स्थानीय एक दलाल का तो विभाग में सिक्का चलता है। भयभीत कर्मचारी उसे बात नहीं करते हैं।


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