श्रीराम की खड़ाऊं लेकर भरत लौटे अयोध्या
मर्यादपट्टी स्थित राम लीला मैदान में चल रही रामलीला की सातवीं निशा सोमवार को अयोध्या के कलाकारों द्वारा समस्त मुनि मिलन दशरथ मरण भरत आगमन. भरत राम संवाद जयंत कुटिलता आदि का प्रसंग सुंदर ढंग से प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। कलाकारों द्वारा प्रभु राम के वन यात्रा के दौरान चित्रकूट आश्रम पर समस्त मुनि मिलन के मंचन से कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
जासं, भदोही : मर्यादपट्टी स्थित रामलीला मैदान में चल रही रामलीला की सातवीं निशा सोमवार को अयोध्या के कलाकारों द्वारा समस्त मुनि मिलन, दशरथ मरण, भरत आगमन, भरत-राम संवाद और जयंत कुटिलता का प्रसंग सुंदर ढंग से प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। कलाकारों द्वारा प्रभु राम के वन यात्रा के दौरान चित्रकूट आश्रम पर समस्त मुनि मिलन के मंचन से कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
मुनियों ने प्रभु राम से वन आने का कारण पूछा तो प्रभु ने बताया की माता कैकेयी ने पिता से दो वचन के बदले भरत को राजगद्दी व मुझ दास के लिए वनवास मांगा था, जिससे वन आना पड़ा। तब मुनि ने कहा की कैकेयी ने उचित ही किया है। इस पर प्रभु राम मुस्कुराए। निषाद राज के सहयोग से राजा भरत भारी सेना के साथ चित्रकुट पंहुचे। सेना देख लक्ष्मण का क्रोधित होना। प्रभु राम द्वारा लक्ष्मण को समझाना, फिर भरत व राम संवाद श्रद्धालुओं को खूब पंसद आया। सभी लीला ध्यान पूर्वक देख रहे थे। भरत जी चित्रकुट पंहुचते ही प्रभु राम के चरणों में दंडवत प्रणाम करते हैं। राजा भरत प्रभु राम से अयोध्या वापस चलने का आग्रह करते है लेकिन प्रभु राम ने कहा की पिता के वचन को नहीं तोड़ सकते। तब भरत प्रभु राम की आज्ञा से उनका खड़ाऊ लेकर अयोध्या वापस हो जाते हैं। खड़ाऊ सिंहासन पर रख तपस्वी का जीवन व्यतीत करते हैं। जयंत की कुटिलता का प्रसंग भी दर्शकों को खूब भाया। एक दिन प्रभु राम सीता का श्रृंगार कर रहे थे, तभी इंद्र के पुत्र जयंत के मन में राम के भगवान न होने की शंका हुई। जयंत अपनी शंका दूर करने के लिए कौवे का रूप धारण कर सीता जी के पैर में खरोंच मार देता है। तभी प्रभु राम उस पर अग्नि बाण छोड़ देते है तब वह अपनी जान बचाकर भागा। भागते भागते ब्रह्मा जी शंकर जी के पास पंहुचता है लेकिन कोई सहायता नहीं करता। तब नारद जी के कहने पर जयंत प्रभु राम से आकर माफी मांगता है। प्रभु राम उसकी एक आंख फोड़ कर प्राण दान करते हैं।