मासूमों की हिम्मत के आगे भूख व प्यास भी नतमस्तक
गर्मी व तेज धूप के बीच 14 घंटे से अधिक समय तक रोजा रखने में बड़े बड़ों की हिम्मत जवाब दे रही है लेकिन बच्चों का उत्साह आसमान पर है।
जागरण संवाददाता, भदोही : गर्मी व तेज धूप के बीच 14 घंटे से अधिक समय तक रोजा रखने में बड़े बड़ों की हिम्मत जवाब दे रही है लेकिन बच्चों का उत्साह आसमान पर है। बुधवार को शुरू हुए रमजान का पहला रोजा रखने में बच्चों ने बड़ों को भी पीछे छोड़ दिया। 10 से 15 साल के 60 फीसद युवाओं ने जहां जोश के साथ रोजा रख रहे हैं, वहीं छह से सात साल की बच्चियों ने भी अपना पहला रोजा पूरा किया। बाजार सरदार खां मोहल्ला निवासी लईक नैयर की बिटिया लुबैना नैयर ने जिद कर मां बाप के साथ सेहरी खाई थी। हालांकि परिवार के सदस्यों का यकीन नहीं था कि वह रोजा पूरा कर सकेगी लेकिन लुबैना ने हिम्मत नहीं हारी। शाम को दस्तरख्वान पर परिवार के अन्य सदस्यों के साथ उसने इफ्तार किया।
इसी तरह जमुंद मोहल्ला निवासी आफताब अंसारी की छह वर्षीय बेटी अरीशा आफताब व कजियाना निवासी जीशान करीमी की सात साल की बेटी फाखेरा करीमी ने पहला रोजा मुकम्मल किया। रमजान के पहला रोजा बेहद मुश्किल माना जाता है लेकिन बच्चों ने 14 घंटे से अधिक समय तक खाना- पानी त्याग कर उन लोगों के लिए नजीर पेश की जो स्वस्थ होते हुए भी रोजा नहीं रखते। इसी तरह शहर के विभिन्न मोहल्लों में छह से आठ साल के बच्चों ने पहला रोजा रखा। पहला रोज रखने वाली लुबैना लईक, अरीशा आफताब व फाखेरा करीमी के मां बाप को लोगों को इसका लिए मुबारकबाद दी।