सावधानी हटी, दुर्घटना घटी, सीट बेल्ट व हेलमेट जरूरी
सड़क दुर्घटनाओं के लिए एक तरफ जहां खराब सड़कें दोषी हैं तो दूसरी ओर यातायात नियमों के पालन के प्रति लापरवाही भी काफी हद तक जिम्मेदार है। संबंधित विभागीय अधिकारियों के स्तर से नियमों के पालन कराने में सख्ती की आवश्यकता है। सख्ती न होने पर वाहन चलाते समय सीटबेल्ट और हेलमेट लगाने के प्रति लापरवाही लोगों के जीवन पर भारी साबित हो रही है।
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सड़क दुर्घटनाओं के लिए एक तरफ जहां खराब सड़कें दोषी हैं तो दूसरी ओर यातायात नियमों के पालन के प्रति लापरवाही भी काफी हद तक जिम्मेदार है। संबंधित विभागीय अधिकारियों के स्तर से नियमों के पालन कराने में सख्ती की आवश्यकता है। सख्ती न होने पर वाहन चलाते समय सीटबेल्ट और हेलमेट लगाने के प्रति लापरवाही लोगों के जीवन पर भारी साबित हो रही है।
बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं तथा असमय घरों के चिराग बुझने के बाद संबंधित परिवारों में कोहराम मच जाता है। अनवरत हो रही दुर्घटनाओं में चालक समेत वाहनों पर सवार अन्य लोग भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। यातायात नियमों के तहत वाहन चलाने के समय चालकों और बैठने वाले को सुरक्षा के प्रति सतर्कता बेहद जरुरी है। लेकिन विभागीय स्तर की उदासीनता से हकीकत इससे इतर है। अमूमन जीवन की सुरक्षा से बेखबर सड़कों पर फर्राटा भर रहे चार पहिया और बाइक सवार लोगों को बगैर सीटबेल्ट और हेलमेट के नियमों की धज्जियां उड़ाते देखा जाता है। बेलगाम रफ्तार भर वाहन चालकों पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय स्तर से भी जांच पड़ताल नहीं की जाती है। जिससे खुद के जीवन के साथ ही सड़क पर चल रहे अन्य वाहन चालकों और राहगीरों के जीवन के लिए भी ऐसे लोग खतरनाक साबित हो रहे हैं। जिससे आए दिन लोग अनहोनी दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। खुद की लापरवाही और असावधानी की वजह से लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लगता नहीं दिख रहा है।
सुरक्षा की बात की जाए तो थोड़ी सी सावधानी का परिचय देकर ऐसी अनहोनी दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है। अधिकतर बाइक सवार हेलमेट पहनना तथा जरूरी कागजात साथ में रखना तौहीन समझते हैं। जो लापरवाही की इंतहा है। सीटबेल्ट और हेलमेट न लगाकर वाहन चलाने में चालकों की बेपरवाही के कारण दुर्घटनाओं को बल मिल रहा है। संबंधित विभाग की ओर से इस पर सख्ती से अंकुश लगाने की आवश्यकता है।
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वाहनों में आगे न बैठे बच्चे
- सड़कों पर आवागमन के दौरान चार पहिया और दो पहिया वाहनों में छोटे बच्चों को आगे कदापि न बैठाएं। अक्सर वाहनों में सामने से दुर्घटनाएं ज्यादा संभावित होती हैं। जिससे दुर्घटना की दशा में वाहन में आगे बैठे उम्रदराज लोग जागरुक होने की वजह से दुर्घटनाओं की दशा में संभावनाएं होने पर खुद के बचाव के लिए प्रयास करने में सक्षम होते हैं जबकि छोटे बच्चे ऐसी दशा में असहज हो जाने से अनहोनी का शिकार हो जाते हैं। स्पष्ट है कि वाहनों में बच्चों को आगे बैठाकर वाहनों की सवारी करना उनके लिए खतरे से खाली नहीं है।