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आखिर कौन सुने बदहाल बालिका विद्यालय की पुकार

बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर केंद्र और प्रदेश की सरकार भले ही लंबी-लंबी बाते कर रही हो लेकिन धरातलीय हकीकत ठीक इसके विपरीत है। ग्रामीण अंचलों से शिक्षा ग्रहण करने बेटियों को संसाधनों की कमी से जूझना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 11:27 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 11:27 PM (IST)
आखिर कौन सुने बदहाल बालिका विद्यालय की पुकार
आखिर कौन सुने बदहाल बालिका विद्यालय की पुकार

जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान को लेकर केंद्र और प्रदेश की सरकार भले ही लंबी-लंबी बाते कर रही हो लेकिन धरातलीय हकीकत ठीक इसके विपरीत है। ग्रामीण अंचलों से शिक्षा ग्रहण करने बेटियों को संसाधनों की कमी से जूझना पड़ रहा है। इक्कीसवीं सदी में भी बेटियां फर्श पर बैठक कर शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर हैं। इसको लेकर न तो जन प्रतिनिधि ही गंभीर है और न ही जिम्मेदार शिक्षा विभाग। यहां बात हो रही हैं राजकीय बालिका इंटर कालेज जगन्नाथपुर की। आखिर इस बदहला विद्यालय की पुकार सुने तो सुने कौन।

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माध्यमिक शिक्षा को सु²ढ़ और मजबूत बनाने के लिए संचालित राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान दस वर्ष बाद भी पटरी पर लौटती नहीं दिख रही है। आलम यह है कि विद्यालय जहां बिजली, पानी, शौचालय व फर्नीचर जैसी सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं वहीं चार शिक्षकों के भरोसे पठन- पाठन कराया जा रहा है।मीरजापुर जनपद सीमा से लेकर गोपीगंज तक दर्जनों गांव की बेटियां शिक्षा ग्रहण करने के लिए जिला पंचातयत बालिका इंटर कालेज गोपीगंज आना होता था। तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा मंत्री रंगनाथ मिश्रा ने निजी भूमि पर राजकीय बालिका इंटर कालेज निर्माण के लिए स्वीकृति दिलवाई थी। अहम सवाल यह है कि कक्षा आठ से लेकर बारह तक संचालित इंटर कालेज में महज चार शिक्षक ही तैनात है। हद तो तब हो जाती है कि यहां पर एक भी शिक्षणेत्तर कर्मचारी और चतुर्थ श्रेणी का कार्मचारी न होने से भारी दिक्कत उठानी पड़ती है। फर्नीचर की व्यवस्था न होने से बेटियों को फर्श पर बैठकर ही शिक्षा ग्रहण करना होता है। स्कूल की बदहाल स्थिति माध्यमिक शिक्षा विभाग की पोल खोल रही है। निर्माण एजेंसियों द्वारा इस कदर मनमानी की गई कि भवन तैयार हुए अभी दस वर्ष भी नहीं बीते कि दीवार के प्लास्टर छोड़कर गिर जा रहे हैं। खिड़कियां टूट गई हैं तो दरवाजा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।

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कहीं पर है भरमार तो कहीं पर टोटा

माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते कहीं पर तो शिक्षकों का भरमार है तो कहीं पर टोटा है। कई ऐसे राजकीय हाईस्कूल और इंटर कालेज हैं जिसमें छात्रों की संख्या के सापेक्ष शिक्षक अधिक हैं। ऐसे शिक्षकों को जहां कमी है वहां तैनात करना चाहिए। विभूति नारायण राजकीय इंटर कालेज में चतुर्थ श्रेणी के कई कर्मचारी तैनात हैं। वह कार्यालय में बैठकर आराम फरमाते रहते हैं तो वहीं राजकीय बालिका इंटर कालेज जगन्नाथपुर में एक भी चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी नहीं है। इसके लिए पूर्व में लिखा पढ़ी भी किया गया था लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

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बजट के अभाव में दम तोड़ रहा भवन

राजकीय बालिका इंटर कालेज परिसर में लाइब्रेरी भवन और कक्षा कक्ष का निर्माण बजट के अभाव में पूर्ण नहीं हो पा रहा है। लाइब्रेरी भवन का तो अभी हाल ही निर्माण शुरू हुआ है लेकिन उसके पास कक्षा- कक्ष का कई वर्षों से निर्माण चल रहा है लेकिन अभी तक पूर्ण नहीं हो सका है। मुख्य द्वार भी आधा-अधूरा छोड़ दिया गया है। अधिकारी भी जानते हुए अंजान बने हुए हैं।

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शिक्षकों और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के साथ ही साथ संसाधनों के लिए कई बार पत्र जिला विद्यालय निरीक्षक को प्रेषित किया जा चुका है। गत दिनों आए ¨वध्याचल मंडल के संयुक्त निदेशक ने भी शैक्षणिक व्यवस्था पर प्रसन्नता व्यक्त किया था लेकिन संसाधनों की कमी के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया है। संसाधनों की कमी के चलते विद्यालय को बोर्ड परीक्षा के लिए केंद्र नहीं बनाया जा सका है।

डा. सरोज गुप्ता, प्रधानाध्यापक, राजकीय बालिका इंटर कालेज जगन्नाथपुर।


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