टूटेंगे 64 मकान, बंटेगा ज्यादा मुआवजा
70 फीसद तैयार होने के बाद तीन वर्ष से अधर में लटका गजिया ओवरब्रिज कब बनकर तैयार होगा यह सवाल यक्ष प्रश्न बन गया है। देर से जागी रेलवे जहां अपने हिस्से का निर्माण कर रही है वहीं पुराने नक्शे में मामूली फेरबदल कर ब्रिज निर्माण जल्द ही शुरू कराने का शासन व प्रशासन का दावा हवाहवाई साबित हो रहा है। गत 29 जून को इस दिशा में पहल की गई थी।
जागरण संवाददाता, भदोही : कई बरस से फंसी गजिया ओवरब्रिज को रफ्तार देने के लिए प्रशासन अब ठोस फैसले लेने जा रहा है। सूचीबद्ध किए गए 64 मकान अब गिराए जाएंगे। मसौदा तैयार हो रहा है। सेतु की राह में रोड़ा बने इन मकानों को अब अल्टीमेटम भेजा जाएगा। हालांकि यह कोशिश पूर्व में भी हो चुकी है, लेकिन विरोध के चलते मुंह की खानी पड़ी है। अबकी बढ़ा हुआ मुआवजा राशि देकर भवनों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू होने जा रही है। शनिवार को सेतु निगम के अफसरों के साथ डीएम राजेंद्र प्रसाद ने ओवरब्रिज को गति देने के लिए मंथन किया है। सहमति भी बनी है। सेतु की चौड़ाई नहीं घटेगी, लेकिन डिजाइन में मामूली फेरबदल संभव है। अब निष्कर्ष की आस जनता में जगी है। कारण कि इस फ्लाईओवर के धरातल पर उतरने से शहर जाम से मुक्त हो जाएगा। सेतु निगम के परियोजना प्रबंधक वेद प्रकाश ने बताया कि सकारात्मक पहल हो रही है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि मुआवजा प्रभावित लोगों को कितना दिया जाए। डिजाइन में परिवर्तन के बाद लागत राशि कितनी बढ़ेगी। उम्मीद है कि शासन की स्वीकृति के बाद कार्रवाई आरंभ कर दी जाएगी।
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जनप्रतिनिधियों के साथ अफसरों की कसरत
बीते 29 जून को विधायक रवींद्र नाथ त्रिपाठी, एडीएम रामसिंह वर्मा सहित कई अफसरों ने ओवरब्रिज का निरीक्षण किया था। तय हुआ था कि नक्शे में मामूली फेरबदल कराते हुए काम पूरा कराएं। बता दें कि वर्ष 2013 में कार्य को मंजूरी दी थी।
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37 करोड़ से होना था निर्माण : 37 करोड़ की स्वीकृति मिली थी। 2016 तक 70 फीसद कार्य हो चुका था। रेलवे यहां देरी कर दी। अपने हिस्से का काम नहीं किया। प्रभावित दुकानदारों व बाशिदों को मुआवजा नहीं मिला। वे उस समय तय हुए मुआवजा राशि पर माने ही नहीं। इसके चलते काम रुक गया। वे बढ़ी हुई मुआवजा राशि और डिजाइन में फेरबदल की मांग करने लगे। अब उस पर नये तरीके से सहमति बनाई जा रही है।
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देरी के लिए रेलवे भी जिम्मेदार
रेलवे की उदासीनता भी फ्लाईओवर में अड़चन है। अप्रैल से सड़क आवागमन ठप कर निर्माण चल रहा है, लेकिन वह पूरा नहीं हो सका है। पिलर तैयार है, अब ऊपरी हिस्से का काम चल रहा है। रेलवे निर्माण खंड के जेई अशोक कुमार की मानें तो कार्य में कई बाधाएं थी, जिनके कारण विलंब हुआ। तीन माह में रेलवे अपने हिस्से का काम पूरा कर देगी।