एक्सपो-18 : फ्रांस व जर्मनी के फ्लोर कवर होंगे आकर्षण के केंद्र
नए कलेवर में तैयार ममलूक व विजार मचाएगी धूम संजय गुप्ता का कहना है कि उन्होंने हैंडमेड में इरानी डिजाइन ममलूक का नया कलेवर तैयार कराया गया है। इसी तरह परंपरागत विजार को चार-पांच नई डिजाइनों में तैयार कराया है जो कालीन मेले में आकर्षण का केंद्र बन सकती है। पूर्व मानद सचिव पीयूष बरनवाल का कहना है कि हस्तनिर्मित कालीनों के साथ-साथ हैंडलूम उत्पाद में सस्ती व फैंसी कालीन धूम मचा सकती है इनमें ब्राडलूम नामक डिजाइन प्रमुख है। इसी तरह टफ्टेड में लुककट तथा आललूप भी पंसद की जा सकती है। बताया कि इन दिनों कालीन में धागों का अधिक उपयोग हो रहा है। ऊल कॉटन मिक्स धागों से तैयार अलग अलग वेराइटीज भी आयातकों को लुभा सकती है।
जागरण संवाददाता, भदोही : वाराणसी के बड़ा लालपुर में स्थित दीनदयाल हस्तकला संकुल में आगामी 21 अक्टूबर से आयोजित होने वाले चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो-18 में भागीदारी के लिए निर्यातक तैयारी में है। मेला आयोजक कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने मेले की सफलता के लिए पूरी ताकत झोंक दी। जर्मनी और फ्रांस के विशेषज्ञ डिजाइनर व स्थानीय कारीगरों के संयुक्त उपक्रम से तैयार सुंदर और आकर्षक फ्लोर कवर मेले के आकर्षण का केंद्र होंगे।
वर्ष 2014 में जर्मनी के हैनोवर में हुए अंतराष्ट्रीय कालीन मेला डोमोटेक्स में बेस्ट डिजाइनर के अवार्ड से सम्मानित ग्लोबल ओवरसीज के संजय गुप्ता का कहना है कि जर्मनी के जिस डिजाइनर के डिजाइन को डोमोटेक्स में अवार्ड मिला था इस बार भी उसी डिजाइनर की सेवा ली है। बताया कि वे हमेशा अलग हटकर काम करना पसंद करते हैं तथा इस बार मेले में चौंकाने वाले उत्पाद लेकर आ रहे हैं। इसी तरह भदोही स्थित टैक्सिको के इम्तियाज अंसारी, अर¨वद एक्सपोर्ट के अर¨वद गुप्ता ने भी नई डिजाइनों के सैंपल तैयार कराए हैं। निर्यातकों का मानना है कि मेले में मशीन मेड कालीनों की भरमार रहेगी। सुंदर व आकर्षक फ्लोर कवर की अनगिनत क्वालिटी देखने को मिलेगी। परंपरागत निर्यातकों द्वारा तैयार कराए गए हैंडमेड कालीनों के सैंपल भी मेले में तहलका मचाने के लिए तैयार हैं। दरी, शैगी के साथ साथ कुछ निर्यातकों द्वारा लीक से हटकर नए प्रयोग भी किए गए हैं। स्थान परिवर्तन से नहीं पड़ेगा अधिक प्रभाव
वस्त्र मंत्रालय की मंशा के अनुरूप इस बार मेले का स्थान परिवर्तित किया गया है। पहले वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर में मेले का आयोजन किया जाता था, लेकिन इस बार मेला बड़ालालपुर स्थित टीएफसी में कराया जा रहा है। हालांकि स्थान परिवर्तन के चलते कुछ निर्यातक असमंजस की स्थिति में हैं लेकिन अधिकांश नए स्थान को लेकर उत्साहित भी हैं। अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) के मानद सचिव हाजी शाहिद हुसैन अंसारी के अनुसार स्थान परिवर्तन से अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। मेले की सफलता आयातकों की भागीदारी पर निर्भर है। कहा कि मेले में जितनी अधिक संख्या में आयातकों की भागीदारी होगी उतना बेहतर रिस्पांस मिलेगा। आयातक-निर्यातक मिलन का बेहतर मंच : सीईपीसी
मेला आयोजक सीईपीसी के प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धिनाथ ¨सह का मानना है कि कालीन मेला आयातक-निर्यातक मिलन का बेहतर मंच साबित होता है। मेले में अधिक खरीदारी नहीं होती बल्कि सैंपल पंसद आने पर आर्डर मिलने की संभावना रहती है। ¨सह के अनुसार गत वर्ष कई कारणों से आयातकों की कम भागीदारी से मेला अधिक सफल नहीं था। इसके बाद भी साढ़े तीन सौ करोड़ का व्यवसाय सृजित हुआ था। वर्ष 2016 में लगभग साढ़े चार सौ करोड़, वर्ष 2015 में चार सौ करोड़, वर्ष 2014 में पांच सौ करोड़ तथा वर्ष 2013 में लगभग साढ़े छह सौ करोड़ के व्यवसाय सृजन का दावा किया गया था। छह नए आयातक देशों की भागीदारी उत्साहजनक
आगामी कालीन मेले में विश्व के विभिन्न देशों से तीन सौ आयातकों तथा लगभग डेढ़ सौ आयातक प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है। सीईपीसी के चेयरमैन महावीर प्रताप उर्फ राजा शर्मा के अनुसार तीन सौ आयातकों को मेले में आमंत्रित किया गया है। इनमें से दो सौ ने आने की स्वीकृति दे दी है। परंपरागत आयातक देशों के साथ साथ नए आयातक देशों के उद्यमियों को भी मेले में आमंत्रित किया गया है। इसमें प्रमुख रूप से घाना, उजबेकिस्तान, कनाडा, चिली, लेबनान, मैक्सिको, ¨सगापुर के आयातकों की मेले में भागीदारी प्रभावकारी साबित हो सकती है। नए कलेवर में तैयार ममलूक व विजार मचाएगी धूम
संजय गुप्ता का कहना है कि उन्होंने हैंडमेड में इरानी डिजाइन ममलूक का नया कलेवर तैयार कराया है। इसी तरह परंपरागत विजार को चार-पांच नई डिजाइनों में तैयार कराया है जो कालीन मेले में आकर्षण का केंद्र बन सकती है। पूर्व मानद सचिव पीयूष बरनवाल का कहना है कि हस्तनिर्मित कालीनों के साथ-साथ हैंडलूम उत्पाद में सस्ती व फैंसी कालीन धूम मचा सकती है। इनमें ब्राडलूम नामक डिजाइन प्रमुख है। इसी तरह टफ्टेड में लुककट तथा आललूप भी पंसद की जा सकती है। बताया कि इन दिनों कालीन में धागों का अधिक उपयोग हो रहा है। वूल कॉटन मिक्स धागों से तैयार अलग अलग वेराइटीज भी आयातकों को लुभा सकती है।