Move to Jagran APP

इस ओवरब्रिज पर 57 महीने दौड़ी सिर्फ उम्मीदें

गजिया ओवरब्रिज। पहले निर्माण कार्य शुरू होने में साल भर लग गए। जब सेतु निगम ने काम शुरू किया तो रूकते-चलते दो साल में इस स्थिति तक पहुंचाए। झाम फंसा तो ढाई साल से वे फरार हैं। महीना भर पहले रेलवे की निर्माण इकाई ने मोर्चा संभाला। वादा किया था कि स्लैब कार्य एक माह में पूरा कर देंगे लेकिन उनसे यह टाइम लाइन भी पार कर गई। अब वे जुलाई तक स्लैब तैयार करने की बात कह रहे हैं। जब तक यह कार्य पूरा नहीं होगा तब तक प्रशासन इस मार्ग पर यातायात चालू करने की अनुमति नहीं देगा। इंदिरा मिल ओवरब्रिज तो कब का चालू हो गया लेकिन सेतु निगम की गजिया परियोजना बीच में मझधार में फंसकर पूरे शहर को हर दिन जख्म पर नमक का लेप लगा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 10:38 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 06:18 AM (IST)
इस ओवरब्रिज पर 57 महीने दौड़ी सिर्फ उम्मीदें
इस ओवरब्रिज पर 57 महीने दौड़ी सिर्फ उम्मीदें

- पहले सेतु निगम, अब स्लैब ढालने की टाइमलाइन भी लांघ गया रेलवे विभाग

loksabha election banner

-जुलाई में तैयार कर लेंगे स्लैब, प्रशासन की अनुमति से चालू कराएंगे रास्ता

-इंदिरा मिल ओवरब्रिज चालू लेकिन मझधार में फंस गया गजिया प्रोजेक्ट जागरण संवाददाता, भदोही : गजिया ओवरब्रिज। पहले निर्माण कार्य शुरू होने में साल भर लग गए। जब सेतु निगम ने काम शुरू किया तो रुकते चलते दो साल में इस स्थिति तक पहुंचाए। झाम फंसा तो ढाई साल से वे फरार हैं। महीना भर पहले रेलवे की निर्माण इकाई ने मोर्चा संभाला। वादा किया था कि स्लैब कार्य एक माह में पूरा कर देंगे, लेकिन उनसे यह टाइम लाइन भी पार कर गई। अब वे जुलाई तक स्लैब तैयार करने की बात कह रहे हैं। जब तक यह कार्य पूरा नहीं होगा तब तक प्रशासन इस मार्ग पर यातायात चालू करने की अनुमति नहीं देगा। इंदिरा मिल ओवरब्रिज तो कब का चालू हो गया, लेकिन सेतु निगम की गजिया परियोजना मझधार में फंसकर पूरे शहर को हर दिन जख्म पर नमक का लेप लगा रही है। 2013 में स्वीकृति, 2014 में शुरू हुआ था निर्माण

कालीन नगरी को जाम से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से वर्ष 2013 में ओवरब्रिज निर्माण की मंजूरी मिली थी। गजिया रेलवे फाटक पर सितंबर 2014 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। यूपी सेतु निगम को प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सौंपी गई, रेलवे की लेटलतीफी के बावजूद इंदिरा मिल ओवरब्रिज तैयार हो गया। लोकार्पित करते हुए उस पर ट्रैफिक भी दौड़ रहा है, लेकिन गजिया ओवरब्रिज पर बीते 57 महीने से सिर्फ जनता की उम्मीदें दौड़ने को विवश हैं। 37 करोड़ से बनना है ओवरब्रिज

गजिया ओवरब्रिज 37 करोड़ रुपये से बनना है। वर्ष 2016 तक 70 फीसद कार्य हो चुका था। रेलवे ने लेटलतीफी की, एक ओर रेलवे ने अपने हिस्से के काम नहीं किया तो दूसरी ओर प्रभावित दुकानदारों को मुआवजा नहीं बांटा गया। इस बीच प्रदेश में सरकार बदल गई। ओवरब्रिज निर्माण पर संकट आ गया। नक्शे में परिवर्तन की मांग भी शुरू हो गई। निर्माण एजेंसी ने सर्वे करवाया। अधिक विलंब होने के कारण बजट बढ़ गया, इधर मुआवजे आदि में पेंच फंसा रहा। एक माह से चल रहा पिलर खुदाई कार्य

बीते 25 अप्रैल से सड़क आवागमन ठप कर निर्माण कार्य की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। इन दिनों रेलवे की कार्यदायी संस्था उत्तरी छोर स्थित पिलर के लिए खुदाई कार्य कर रही है। हालांकि कार्य की मंद गति चिता का सबब बनी है जबकि संस्था को जनवरी तक काम पूरा करना है। निर्माण कार्य में कई बाधाएं थी, जिनके कारण विलंब हुआ। जिस स्थान पर पिलर ढालना था, वहां पहले से पुलिया थी। उसे ध्वस्त कर पानी निकासी की व्यवस्था की गई। इसके कारण देरी हुई। कार्य शुरू हो गया है तथा एक से डेढ़ माह में स्लैब तैयार कर दिया जाएगा। स्लैब तैयार होने के बाद प्रशासन की अनुमति से रास्ता चालू किया जा सकता है।

--- अशोक कुमार, अवर अभियंता, कंस्ट्रक्शन विभाग (रेलवे)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.