नारी सशक्तीकरण ------- चित्र 20 व 21 ---------
कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी की स्थिति हर किसी को हैरान कर रही है। एक ओर कोराना सिपाही बाहर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर देश की जनता घर में रहकर इस लड़ाई में अपना-अपना योगदान दे रही है।
शीर्षक ------ पोस्टकार्ड पर 21 हजार बार लिखा 'राम'
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प्रयास
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सब हेड :- लॉकडाउन देवनाथपुर की सुप्रिया ने खोज निकाला नया तरीका, आसानी से गुजरे 16 दिन
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- संपूर्ण सुंदरकांड भी पोस्टकार्ड पर अंकित कर चुकी हैं महिला
- घरेलू कार्य से निवृत्त होकर लिखने में गुजार रहीं खाली समय
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महेंद्र दुबे, ज्ञानपुर (भदोही)
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कोरोना वायरस से उत्पन्न महामारी की स्थिति हर किसी को हैरान कर रही है। एक ओर कोराना सिपाही बाहर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की जनता घर में रहकर इस लड़ाई में अपना योगदान दे रही है। लॉकडाउन के 16 दिन गुजर गए और आमजन पूरी जिम्मेदारी के साथ इसके नियमों का पालन करने में जुटे हैं। घरों में रहकर लोग पूरे दिन किस कदर गुजार दे रहे हैं कि उन्हें अंदाजा भी नहीं लग पा रहा है। समय गुजारने के लिए महिला हो अथवा पुरुष हर कोई अपने-अपने तरीके भी ईजाद कर लिए हैं। कोई इनडोर गेम तो कोई टीवी आदि से मनोरंजन कर दिन काट रहे हैं। ऐसे में देवनाथपुर की सुप्रिया बरनवाल ने लॉकडाउन के 16 दिनों बहुत ही आसान तरीका से गुजार दिया। वह पोस्टकार्ड पर 21,100 बार राम लिख चुकी हैं। इसके पहले वह पोस्टकार्ड पर सुंदरकांड भी लिख चुकी हैं।
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सांस्कृतिक और सनातन धर्म की पहचान हैं राम
सुप्रिया बरनवाल का कहना है कि पोस्टकार्ड पर 21,100 बार राम नाम अंकित करना बहुत ही कठिन काम है। पोस्टकार्ड पर वह जनवरी माह में ही राम नाम अंकित करना शुरू की थी लेकिन बच्चों का स्कूल और उन्हें लंच बनाकर देना आदि घरेलू कार्यों में व्यस्तता के कारण यह कार्य अधूरा रही रह गया था। लॉकडाउन होने के बाद घरेलू कार्य कुछ कम हो गया और फिर राम नाम अंकित करने में जुट गईं। धीरे-धीरे 15 दिन लग गए 21,100 बार राम नाम लिखने में। लॉकडाउन के 16 कब गुजर गए पता ही नहीं चला। उनका कहना है कि राम नाम भारत की सांस्कृतिक विरासत और सनातन धर्म की पहचान हैं।